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नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर ले जाता सृजन पथ

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जुड़ें पॉजिटिव ऊर्जा के स्रोत से   हर इंसान सुख शांति की तलाश में है। उत्साह उमंग आशा से भरे पलों में वह आंशिक रुप में इस तलाश को पूरी होता पाता है। ये पॉजिटिव ऊर्जा से भरे पल होते हैं। लेकिन इसके क्षीण होते ही जीवन में निराशा-हताशा के काले बादल मंडराने लगते हैं,   और जीवन अवसाद के सघन कुहासे में कहीं सिसकने लगता है। इस अंधेरे कोने से उबरने और जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से जोड़ने के लिए आवश्यक है कि सकारात्मक ऊर्जा के स्रोत की खोज की जाए, इसकी ओर रुख किया जाए, जिससे कि एक कलाकार की भांति उतार-चढ़ावों के बीच एक संतुलित जीवन जिया जा सके। प्रस्तुत है पाजिटिव ऊर्जा स्रोत से जोड़ते कुछ ऐसे ही सुत्र-    1.      अपनी प्रतिभा एवं रुचि से जुड़ा जीवन लक्ष्य – यदि जीवन लक्ष्य स्पष्ट है तो आधी जीत हासिल समझो। फिर हर पल व्यक्ति इसको पाने के निमित सृजनात्मक प्रयास में व्यस्त रहता है और नकारात्मक विचारों को घुसने का मौका ही नहीं मिल पाता। और अगर जीवन लक्ष्य स्पष्ट नहीं तो , जीवन एक दिशाहीन नाव की भांति परिस्थितियों के   थपेड़ों के बीच हिचकोले खाने के लिए विवश होता है। अतः अपनी रुचि

दिल से चाह कर, दाम चुका कर तो देखो

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ऐसा क्या जो तुम नहीं कर सकते   क्यों भिखारी बन भीख माँगते हो, क्रीतदास बन हाथ पसारते हो, जो चाहते हो उसे पहले दिल से चाह कर तो देखो, फिर उसकी कीमत चुका कर तो देखो।1। ऐसा क्या है, जो तुम नहीं कर सकते, ऐसा क्या है जो तुम नहीं पा सकते, दिल से चाहकर, दाम चुकाकर तो देखो, आलस-प्रमाद, अकर्मण्यता की खुमारी को हटाकर तो देखो।2।   सारा जग है तुम्हारा, तुम इस जग के, यदि पात्रता नहीं, तो विकसित करने में क्या बुराई, कौन पूर्ण यहाँ, सभी की अपनी अधूरी सच्चाई, हर कोई संघर्ष कर रहा, लड़ रहा अपनी लड़ाई।3। शॉर्टकट भी जीवन में कई, कुछ बनने के, कुछ पाने के,  लेकिन, बिना दाम चुकाए, बढ़प्पन कमाने में क्या संतोष, क्या अच्छाई, मुफ्त में हासिल कर भी लिए, तो क्या मज़ा,  शांति-सुकून बिना कितना खालीपन, अंजाम कितना दुःखदाई।4।

परिवर्तन के साथ जीने की तैयारी

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माना परिवर्तन नहीं पसंद जड़ मन को   माना परिवर्तन नहीं पसंद जड़ मन को, ढर्रे पर चलने का यह आदी, अपनी मूढ़ता में ही खोया डूबा यह, चले चाल अपनी मनमानी।1। लेकिन, जड़ता प्रतीक ठहराव का, यह पशु जीवन की निशानी, परिवर्तन नियम शाश्वत जीवन का, चैतन्यता ही सफल जीवन की कहानी।2। यदि परिवर्तन के संग सीख लिया चलना, खुद को ढालना, बदलना, कदमताल करना, तो समझो, बन चले कलाकार जीवन के, जीवन बन चला एक मधुर तराना।3। सो परिवर्तन का सामना करने में होशियारी, इसकी हवा, नज़ाकत को पढ़ने में समझदारी, तपन सुनिश्चित इसकी कष्टकारी, लेकिन यही तो जीवन के रोमाँच की तैयारी।4। परिवर्तन के लिए नहीं अगर कोई तैयार, अपनी मूढ़ता की आँधी पर सवार, तो मूर्ति को गढ़ता छैनी का हर प्रहार, बन जाए जीवन का वरदान भी अभिशाप।5। ऐसे में दे कोई मासूमियत की दुहाई कालचक्र ने कब किसकी सुनी है सफाई, राजा को रंक बना कर, कितनों को है धूल चटाई। समझ कर तेवर इसके, बदलने, सुधरने में है भलाई।6।