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स्वागत 2020 – निर्णायक दशक का यह प्रवेश द्वार

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परिवर्तन के ये पल निर्णायक महान 2020 नहीं महज वर्ष नया, निर्णायक दशक का यह प्रवेश द्वार, तीव्र से तीव्रतम हो चुका काल चक्र परिवर्तन का, महाकाल की युग प्रत्यावर्तन प्रक्रिया, ऐतिहासिक महान।। शुरुआती हफ्तों में ही मिल चुके ट्रेलर कई, न रहें काल के तेवर से अनजान, सभी कुछ निर्णायक दौर से गुजर रहा, जड़ता, प्रतिगामिता नहीं अब काल को स्वीकार।।   न भूलें सत्य, ईमान और विधान ईश्वर का,   नवयुग की चौखट पर खड़ा इंसान, देवासुर संग्राम के पेश होंगे लोमहर्षक नजारे, न कुछ रहेगा आधा-अधूरा , होगा सब आर-पार।। धड़ाशयी होंगे दर्प-दंभ, झूठ के किले मायावी,   नवसृजन का यह प्रवेश द्वार, जनता की अदालत में होंगे निर्णय ऐतिहासिक,   धर्मयुद्ध के युगान्तरीय पल दुर्घर्ष-रोमाँचक-विकराल।।   अग्नि परीक्षाओं की आएंगी घड़ियाँ अनगिन,  गुजरेंगे जिनसे हर राष्ट्र, समाज और इंसान, 2020 नहीं महज वर्ष नया, निर्णायक दशक का यह प्रवेश द्वार।।   महाकाल के हाथोंं स्वयं  कमान युग की , नवयुग की चौखट पर खड़ा इंसान , परिवर्तन के ये पल ऐतिहासिक रोमाँचक, स्वागत के लिए हम क

फिल्म समीक्षा – तान्हाजी, द अनसंग वॉरियर

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स्वराज के अमर योद्धा की अद्वितीय शौर्य-बलिदानी गाथा बाहुबली के बाद एक ऐसी फिल्म आई है, जो दर्शकों को अपने सिनेमाई करिश्मे के साथ मंत्रमुग्ध कर रही है और उनमें एक नया जोश, एक नयी ऐतिहासिक समझ व सांस्कृतिक चेतना का संचार कर रही है। मराठा योद्धा तानाजी मालुसरे के अप्रतिम शौर्य, बलिदान एवं अदम्य साहस की गाथा पर आधारित यह फिल्म शुरु से अंत तक दर्शकों को बाँधे रखती है। इसके कथानक की कसावट, चरित्रों के रोल, चाहे वे तानाजी के रुप में अजय देवगन हों, खलनायक उदयभान सिंह राठौर के रुप में सैफ अली खान या सावित्री बाई के रुप में काजोल या छत्रपति शिवाजी महाराज के रुप में शरद केलकर या अन्य – सभी अपनी जगह सटीक छाप छोड़ते हैं। पृष्ठभूमि में सुत्रधार के रुप में संजय मिश्रा की आबाज अपना प्रभाव डालती है। एनीमेशन एवं वीएफएक्स का उत्कृष्ट प्रयोग इसकी विजुअल अपील को ज्बर्दस्त ढंग से दर्शकों को हर दृश्य में हिस्सेदार बनाती है। गीत-संगीत एवं नृत्य भी स्वयं में बेजोड़ है, जिनमें भागीदार होकर दर्शक शौर्यभाव से भर जाते हैं। युद्ध के बीच-बीच में हल्की कॉमेडी दर्शकों को गुदगुदाती है तो मानवीय भावों के मार