संदेश

जुलाई, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मेरा गाँव, मेरा देश - यादें बरसात की।

चित्र
सावन का महीना - शिव के संग प्रकृति की रौद्र स्मृतियां बरसात का मौसम हर वर्ष एक वरदान की तरह धरती पर आता है , जब मई-जून की अंगार बरसाती गर्मी के बाद आकाश में बादल मंडराते हैं। प्यासी धरती की पुकार जैसे प्रकृति-परमेश्वर सुनते हैं , झमाझम बारिश होती है। तृषित धरती , प्यासे प्राणियों की प्यास शांत होती है। बारिश की बौछारों की आवाज , हल्की बारिश की संगीतमयी थाप के साथ सकल सृष्टि जैसे दिव्य सुरों में सज जाती है। इन सबके साथ घर से दूर, पहाड़ों में बिताए बचपन की यादें बरबस ताजा होती हैं , बादलों की तरह चिदाकाश पर उमड़ती-घुमड़ती हैं और झमाझम बरस कर अंतःकरण में एक सुकूनभरा, रामाँचक एवं रुहानी सा भाव जगा जाती हैं, जिसको शब्दों में बाँधना कठिन है। वरसात का यह मौसम हर वर्ष गर्मी और सर्दी के बीच की संधि वेला के रुप में आता है। प्रकृति ताप के हिसाब से न अधिक गर्म होती है न अधिक सर्द। पहाड़ों पर मंडराते आवारा बादल के टुकड़ों को देख मन भी उनके साथ घाटी की उड़ान भरने लगता है। पूरी घाटी कभी-कभी इनके आगोश में ढक-ढंप जाती है, तो कभी इक्का