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नवरात्रि साधना का व्यवहारिक तत्वदर्शन

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नवरात्रि साधना का राजमार्ग   नवदुर्गा   आजकल नवरात्रि का पर्व अपने पूरे जोरों पर है, आज इसका पांचवाँ दिन है, जो सकन्द माता के लिए समर्पित है। पहले दिन शैलपुत्री के रुप में साधक का संकल्प, ब्रह्मचर्य के तप में तपते हुए (ब्रह्मचारिणी), माँ चंद्रघंटा के दिव्य संदेशों को धारण करते हुए, माँ कुष्माण्डा से इस पिण्ड में व्रह्माण्ड की अनुभूति का वरदान पाते हुए आज बाल यौद्धा के रुप में माँ की गोद में जन्म लेता है। जो क्रमशः भवानी तलवार को धारण करते हुए (माँ कात्यायनी), सकल आंतरिक-बाहरी असुरता का संहार करते हुए (माँ कालरात्रि) एक महान रुपाँतरण (माँ गौरी) के बाद   अंतिम दिन सिद्धि (माँ सिद्धिदात्रि) को प्राप्त होता है। यह नवरात्रि वर्ष में दो वार ऋतु संधि की वेला में आती है, जिसका विशिष्ट महत्व रहता है। यह तन-मन में ऋतु बदलाव के साथ होने वाले परिवर्तनों के साथ सूक्ष्म लोक में उमड़ते-घुमड़ते दैवीय प्रवाह के साथ जुडने एवं लाभान्वित होने का विशिष्ट काल रहता है। ऋषियों ने इसके सूक्ष्म स्वरुप को समझते हुए इस काल को विशिष्ट साधना से मंडित किया। गायत्री परिवार में नैष्ठिक साधक चौबीस हजार का एक लघ

मेरा गाँव मेरा देश – मौसम वसन्त का, भाग-2

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सर्दी के बाद वसंत की वहार   खेतों के कौने में नरगिस के पुष्पगुच्छ चांदी की थाल में सजी सोने की कटोरियों सा रुप लिए सबको मंत्रमुग्ध करते। इनके दर्शन जहाँ मन को एक नई ताजगी देते, वहीं उनकी मादक खुशबू मस्तिष्क में एक अद्भुत अनुभव का संचार करती।   नरगिस के साथ खेतों के बीचों बीच मदोहुला( ट्यूलिप ) के फूल एक अलग ही रंगत बिखेर रहे होते। इनके लाल , पीले , गुलावी , सफेद रंगों के मिश्रण से सजी फूलों की वारात खेत में खुशनूमा रौनक लाती। फलदार पेड़ों में सबसे पहले आलूबुखारा व प्लम आदि के पेड़ सफेद फूलों से लदना शुरु हो जाते। प्लम के सफेट फूल आकार में छोटे किंतु गुच्छों में एक अलग ही सात्विक आभा लिए होते। प्लम के बगीचे दूर से ऐसे लगते जैसे घाटी ने सफेद चादर ओढ़ ली हो। इसके साथ चैरी के फूल नए रंग घोलते।        घर के आस-पास खुमानी के पेड अपनी गुलाबी-स्वर्णिम आभा के साथ आँगन , खेत , गाँव एवं घाटी को नयनाभिराम सौंदर्य का अवदान देते। दूर से ही देखने पर , घाटी के आर-पार इनके दर्शन सुखद अनुभूति देते। इनके साथ बादाम के पेड़ तो और भी मुखर रुप में अपनी बासन्ती आभा को प्रक