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ब्लॉगिंग की प्रारम्भिक चुनौतियाँ

  कुछ इस तरह करें इनको पार यदि आपका ब्लॉग शुरु हो चुका है , तो इसके लिए आपको बधाई। अब अगले कुछ माह आप इसके सबसे महत्वपूर्ण एवं कठिन चरण से होकर गुजरने वाले हैं , जो यह तय करेगा कि आपका ब्लॉग अंजाम की ओर बढ़ेगा या फिर रास्ते में ही कहीं खो जाएगा। क्योंकि ब्लॉगिंग में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों में 10 फीसदी व्यक्ति ही अपने ब्लॉग को आगे जारी रख पाते हैं। बाकि 90 प्रतिशत ब्लॉगिंग को रास्ते में ही छोड़ देते हैं। आप भी यदि अपने ब्लॉग को अंजाम तक पहुँचाना चाहते हैं , एक सफल ब्लॉगर के रुप में उभरना चाहते हैं , तो यहाँ शेयर किए जा रहे अनुभूत नुस्खे आपके काम आएंगे, ऐसा हमारा विश्वास है। 1.       नियमितता बनाएं रखें , नागा न करें – जीवन के हर क्षेत्र की तरह ब्लॉगिंग भी नियमितता की माँग करती है। एक नियमित अन्तराल में अपना ब्लॉग लिखें व पोस्ट करते रहें। माह में 2-3 पोस्ट का औसत कोई कठिन टार्गेट नहीं है। लेकिन कोई भी माह नागा न हो , आपातकाल में भी न्यूनतम 1 पोस्ट तो किसी तरह से डालें ही। यह न्यूनतम है। यह हमारी तरह स्वान्तः सुखाय ब्लॉगर का औसत है, यदि आप प्रोफेशनल ब्लॉगर के रुप में आगे व

छेड़ चला मैं तान झिंगुरी

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ब्लॉग सृजन प्रेरणा      कितनी बा र आया मन में , मैं भी एक ब्लॉग बनाउं , दिल की बातें शेयर कर , अपनी कुलबुलाहट जग को सुनाउं। लेकिन हर बार संशय, प्रमाद ने घेरा, कभी हीनता, संकोच ने हाथ फेरा, छाया रहा जड़ता का सघन अंधेरा , लंबी रात बाद आया सृजन सवेरा। ढलती शाम थी, वह वन प्रांतर की, सुनसान जंगल में था रैन बसेरा, रात के सन्नाटे को चीरती, गुंज रही थी तान झिंगुरी , बनी  यही तान मेरी ब्लॉग प्रेरणा, जब झींगुर मुझसे कुछ यूँ बोला। क्या फर्क पड़ता है तान, बेसुरी है या सुरमय मेरी , प्रकृति की गोद में रहता हूँ अलमस्त , गाता हूँ जीवन के तराने , दिल खोलकर सुनाता हूं गीत जीवन के , हैं हम अपनी धुन के दीवाने। तुम इसे झींगुरी तान कहो या संगीत या फिर, एक प्राणी का अलाप-प्रलाप या कुछ और, लेकिन मेरे दिल की आवाज़ है यह, अनुभूतियों से सजा अपना साज़ है यह, और शायद अकेले राहगीरों का साथ है यह। नहीं समझ आ रहा हो तो , निकल पड़ना कभी पथिक बनकर, निर्जन बन में शिखर की ओर अकेले , कचोटते सूनेपन में राह का साथ बनूंगा , सुनसान अंधेरी रात में