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पर्यावरण प्रदूषण - प्लास्टिक क्लचर के लिए कौन जिम्मेदार?

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सम्मिलित प्रयास से ही होगा समाधान पिछले लगभग अढाई दशकों से हरिद्वार में रह रहा हूँ। गंगा नदी के तट पर शहर का बसा होना ही इसे विशेष बनाता है। इसके वशिष्ट स्थलों पर स्नान-डुबकी पर जीवन के पाप-ताप से मुक्त होने व परलोक सुधार का भाव रहता है। श्रद्धालुओं का सदा ही यहाँ रेला लगा रहता है, वशिष्ट पर्व-त्यौहारों में इनकी संख्या लाखों में हो जाती है और कुंभ के दौरान तो करोड़ों में। हर बर्ष साल में एक बार गंगा क्लोजर होता है, सामूहिक सफाई अभियान चलते हैं। तब समझ आता है कि गंगाजी के साथ इसके भक्तों ने क्या बर्ताव किया है। तमाम तरह के कचरे से लेकर पॉलिथीन इसमें बहुतायत में मिलता है। जब गंगाजी के किनारे ही यह धड़ड्ले से बिक रहा हो तो फिर क्या कहने। इस पर नियंत्रण के लिए, सरकार हमारे संज्ञान में अब तक तीन-चार बार पॉलिथीन बंदी का ऐलान कर चुकी है, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात दिखते हैं। ( अभी हाल ही में 1 फरवरी 2021 से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानसुर पहले चरण में गोमुख से हरिद्वार तक प्लास्टिक के किसी तरह के उपयोग पर पाबन्दी का आदेश आया है, जिसमें नियम का उल्लंघन करने वाले पर पांच हजा

मेरा गाँव, मेरा देश – महाप्रकृति का कृपा कटाक्ष

प्रकृति की सच्चे पुत्र बनकर जीने में ही समझदारी पिछले दशकों में प्राकृतिक जल स्रोत्र जिस तरह से सूखे हैं, वह चिंता का विषय रहा है। अपना जन्म स्थान भी इसका अपवाद नहीं रहा। मेरा गाँव मेरे देश के तहत हम पिछले चार-पाँच वर्षों से इस विषय पर कुछ न कुछ प्रकाश डाल रहे हैं। साथ ही इससे जुड़ी विसंगतियों एवं संभावित समाधान की चर्चा करते रहे हैं। गाँव का पुरातन जल स्रोत - नाला रहा, जिसकी गोद में हमारा बचपन बीता। इसका जल हमारे बचपने के पीने के पानी का अहं स्रोत था, फिर गाँव में नल के जल की व्यवस्था होती है। साथ ही गाँव के छोर पर चश्में का शुद्ध जल (लोक्ल भाषा में जायरु) हमेशा ही आपात का साथी रहा है। नाले पर बना सेऊबाग झरना गाँव का एक अहम् आकर्षण रहा, जिसके संग प्रवाहमान जीवन की चर्चा होती रही है। लेकिन पिछले दशकों में इस झरने को वर्ष के अधिकाँश समय सूखा देखकर चिंता एवं दुख होता रहा और पिछले दो साल से इसके रिचार्ज हेतु कार्य योजना पर प्रयास चल रहा है। हालाँकि अभी समस्या इतना गंभीर भी नहीं थी, क्योंकि यह प्राकृतिक से अधिक मानव निर्मित रही। क्योंकि खेतों की सिंचाई को लेकर जिस तरह से पाईप