कभी किसी का मजाक मत उडाना

हर इंसान की अपनी कथा-व्यथा, है अपनी एक अनकही कहानी, वह जैसा है, उसका सम्मान करना। पूरा इतिहास है हर इंसान का, कुछ सुलझा, तो बहुत कुछ अलसुलझा, वह क्यों है वैसा ? समय हो, धीरज हो तो, कभी पास बैठ, सुनना-समझना, उसकी कथा-कहानी, उसकी अपनी जुबानी। ठोस कारण हैं उसके, कुछ भूल-चूकें, कुछ मजबूरियाँ, कुछ अपने गम-ज़ख्म हैं उसके, वो जो है, जैसा है, उसके कारण हैं, यदि संभव हो तो तह तक जाना, अन्यथा, कभी किसी का मजाक मत उड़ाना।