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हरिद्वार दर्शन - गंगा तट पर घाट-घाट का पानी

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  घाट 1 से 20 तक गंगा मैया के संग गंगा तीरे, उत्तरीय हरिद्वार हर- की-पौड़ी के आगे स्वामी सर्वानंद घाट के पुल को पार करते ही, हरिद्वार-ऋषिकेश हाईवे से दायीं ओर का लिंक रोड़ घाट न. 1 की ओर जाता है। पीपल के बड़े से पेड़ के नीचे शिव मंदिर और फिर आम, आँबला व अन्य पेड़ों के समूहों का हरा-भरा झुरमुट। इसके आगे नीचे गंगा नदी का विस्तार, जो नीचे भीमगौड़ा बैराज तक, तो सामने राजाजी नेशनल पार्क तक फैला है। गंगाजी यहाँ एक दम शांत दिखती हैं, गहराई भी काफी रहती है और जल भी निर्मल। लगता है जैसे पहाड़ों की उछल-कूद के बाद गंगा मैया कुछ पल विश्राम के, विश्राँति भरी चैन के यहाँ बिता रही हैं – आगे तो फिर एक ओर हर-की-पौड़ी, गंग नहर और दूसरी ओर मैदानों के शहरों व महानगरों का नरक...। यहीं से गंगाजी की एक धारा थोड़ा आगे दायीं ओर मोडी गई है, जो खड़खड़ी शमशान घाट से होकर हर-की-पौड़ी की ओर बढ़ती हैं। यह घाट नम्बर-1 2010 के पिछले महाकुंभ मेले में ही तैयार हुआ है, जहाँ रात व दिन को बाबाओँ व साधुओं के जमावड़े को विश्राम करते देखा जा सकता है। और यह घाट पुण्य स्नान के लिए आए तीर्थयात्री व पर्यटकों के बीच खासा लोक

हरिद्वार से चण्डीगढ़ वाया हथिनीकुँड

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गाँव-खेत-फ्लाइऑवरों व नहरों के संग सफर का रोमाँच हरिद्वार से चण्डीगढ़ लगभग दो सवा दो सौ किमी पड़ता है, जिसके कई रूट हैं। सबसे लम्बा रुट देहरादून-पोंटा साहिब एवं नाहन से होकर गुजरता है। दूसरा बड़ी बसों का प्रचलित रुट वाया रुढ़की-सहारनपुर-यमुनानगर-अम्बाला से होकर जाता है। छोटे चौपहिया वाहनों के लिए शोर्टकट रुट वाया हथिनीकुंड वैराज से होकर है, जिस पर दिन के उजाले में सफर का संयोग पिछले दिनों बना। फरवरी माह के तीसरे सप्ताह में सम्पन्न यात्रा कई मायनों में यादगार रही, जिसे यदि आप चाहें तो इस रुट का चुनाव करते हुए अपने स्तर पर अनुभव कर सकते हैं। इस रुट की खासियत है, गाँव-खेतों, छोटे कस्वों एवं गंगा-यमुना नदी की नहरों के किनारे सफर, जिसमें कितनी तरह की फसलों, फल-फूलों व वन-बगानों से गुलजार रंग-बिरंगे अनुभव कदम-कदम पर जुड़ते जाते हैं। साथ में मिलते हैं लोकजीवन के अपने विविधतापूर्ण मौलिक रंग-ढंग, जो अपनी खास कहानी कहते प्रतीत होते हैं। हरिद्वार से बाहर निकलते ही गंगनहर के किनारे सफर आगे बढ़ता है। महाकुंभ 2021 के लिए बने नए फलाई-ऑवर के संग सफर एकदम नया अनुभव रहा, क्योंकि सड़क पहले से अधिक

गढ़वाल हिमालय की गोद में बसा देहरादून

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  हिमालय के आँचल में बसा देहरादून Dehradun Valley from Landour, By Paul Hamilton, Wiki उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून गढ़वाल हिमालय की तराई में बसा एक महत्वपूर्ण शहर है, जो राष्ट्रीय महत्व के कई शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थानों के लिए जाना जाता है। शहर बहुत पुरातन है। द्रोण नगरी के नाम से माना जाने वाला देहरादून अपना पौराणिक इतिहास लिए हुए है। सहस्रधारा की गुफा में स्थित द्रोणाचार्य की गुफा व उनका विग्रह आज भी इसकी गवाही देते हैं। द्रोणाचार्य गुफा मंदिर, सहस्रधारा टपकेश्वर में स्थित गुफा में माना जाता है कि द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा का जन्म हुआ था। आज भी यहाँ की गुफा से गिरता जल शिवलिंग का अभिषेक करता है। इसी परम्परा में भारतीय सैन्य संस्थान (IMA - इंडियन मिलिट्री एकादमी) की स्थापना देहरादून में की गई, जहाँ से भारतीय सेना के लिए कमिशन्ड अफसर तैयार किए जाते हैं। इसके साथ यहाँ कई मिलिट्री स्कूल और कालेज भी हैं। गढ़ी कैंट में पूरी आर्मी की छावनी यहाँ स्थित है। देहरादून का नाम सिखों के गुरु राम राय से भी जुडा हुआ है। जब वे पंजाब से आकर इस क्षेत्र में बसे तो उनके डेरों के नाम

कुम्भनगरी हरिद्वार - कुछ दर्शनीय स्थल

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हिमालय के द्वार पर बसी धर्मनगरी - हरिद्वार  धर्मनगरी के नाम से प्रख्यात हरिद्वार में शायद ही किसी व्यक्ति का वास्ता न पड़ता हो। 6 और 12 साल के अंतराल में महाकुंभ का आयोजन इसकी एक विशेषता है। फिर जीवन के अंतिम पड़ाव के बाद शरीर के अवसान की पूर्णाहुति अस्थि विसर्जन और श्राद्ध-तर्पण आदि के रुप में प्रायः हरिद्वार तीर्थ में ही सम्पन्न होती है। हिमालय में स्थित चारों धामों की यात्रा यहीं से आगे बढ़ती है, जिस कारण इसे हरद्वार या हरिद्वार के नाम से जाना जाता है। निसंदेह रुप में भारतीय संस्कृति व इसके इतिहास की चिरन्तन धारा को समेटे यहाँ के तीर्थ स्थल स्वयं में अनुपम हैं, जिनकी विहंगम यात्रा यहाँ की जा रही है। इनमें निसंदेह रुप में कनखल सबसे प्राचीन और पौराणिक स्थल है, जहाँ माता सती ने अपने पिता दक्षप्रजापति द्वारा अपने पति शिव के अपमान होने पर हवन कुण्ड में स्वयं को आहुत किया था और फिर शिव के गणों एवं वीरभद्र ने यज्ञ को ध्वंस कर दक्ष प्रजापति का सर कलम कर दिया था और फिर भगवान शिव ने इनके धड़ पर बकरे का सर लगा दिया था। सती माता के जले शरीर को कंधे पर लिए