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सुनसान के सहचर

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युगऋषि पं. श्र ीरामशर्मा आचार्य की हिमालय यात्रा के प्रेरक प्रसंग युग निर्माण आंदोलन के प्रवर्तक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य गायत्री के सिद्ध साधक के साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पत्रकार, साहित्यकार, लोकसेवी, संगठनकर्ता , दार्शनिक एवं भविष्य द्र ष्टा ऋषि भी थे। गहन तप साधना, साहित्य सृजन हेतु वे चार वार हिमालय यात्रा पर गए। 1958 में सम्पन्न दूसरी हिमालय यात्रा का सुंदर एवं प्रेरक वर्णन सुनसान के सहचर पुस्तक के रुप में संकलित है, जिन्हें शुरुआत में 1961 के दौर की अखण्ड ज्य ोत ि पत्रिका में प ्रकाशित किया गया था । पुस्तक की विशेषता यह है कि आचार्यश्री का यात्रा वृताँत प्रकृति चित्रण के साथ इसमें निहित आध्यात्मिक प्रेरणा, जीवन दर्शन से ओत प्रोत है। प्रकृति के हर घटक में, राह की हर चुनौती, ऩए दृश्य व घटना में एक उच्चतर जीवन दर्शन प्रस्फुटित होता है। पाठक सहज ही आचार्यश्री के साथ हिमालय क ी दुर्गम, मनोरम एवं दिव्य भूमि में पहुंच जाता है और इसके प्रेरणा प्र वाह को आत्म सात करते हुए, जीवन के प्रति एक न ई अंतर् दृष्टि को पा जाता है।  आचार्यश्री के अनुसार,