फिल्म समीक्षा - एसएस राजामौली का सिनेमाई जादू फिर चला

भारतीय सिनेमा में नए मानक गढ़ती बाहुबली-2 बाहुबली के पहले संस्करण ने दर्शकों को जिस जादूई आगोश में बाँधा था, उसमें निहित प्रश्नों के उत्तर पाने व उसकी पूरी कहानी जानने के लिए बाहूबली-2 का सबको पिछले दो वर्षों से बेसब्री से इंतजार था। सो तमाम परिस्थितिजन्य प्रतिकूलताओं को चीरते हुए दर्शक बाहुबली बनकर सिनेमा हाल पहुँचे। सस्पेंस था कि बाहुबली का दूसरा हिस्सा कसौटियों पर खरा उतरता भी है या निराश करता है। लेकिन जब पूरी बाहुबली देखी तो लगा कि एसएस राजामौली का सिनेमाई जादू बर्करार है, बल्कि नए स्तर को छू गया है, जिसके चलते फिल्म हर दृष्टि से नए मानक स्थापित कर रही है। अखिल भारतीय फिल्म के साथ बाहुबली-2 का दिग्विजय अभियान पूरे विश्व में जारी है। फिल्म का जादूई रोमाँच, पात्रों की सशक्त भूमिका, कथा की कसावट, भावों के रोमाँचक शिखर, प्रकृति के दिलकश नजारे, अदाकारों का बेजोड़ अभिनय, कर्णप्रिय संगीत - सब मिलकर दर्शकों के सिर चढ़कर बोल रहे हैं और शुरु से अंत तक बाँधे रखते हैं। इस सब के बीच युद्ध के बीभत्स दृश्य, खलनायकों की कुटिल चालें बीच-बीच में कुछ विचलित अवश्य करती हैं लेकिन अ