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जनवरी, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

यात्रा वृतांत - शिमला से कुल्लू वाया जलोड़ी पास

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शिमला की एप्पल बेल्ट का एक यादगार , रोमांचक सफर शिमला, प्रदेश की राजधानी होने के नाते हमारा बचपन से ही आना जाना रहा है। यहां जाने का कोई मौका हम शायद ही चूके हों । शुरु में अपने स्कूल, कालेज के स र्टिफिके ट इक ट्ठा करने, तो बाद में एडवांस स्टडीज में शोध-अध्ययन हेतु। यहां घूमने के हर संभव मौकों पर शिमला शहर के आसपास के दर्शनीय स्थलों को अवश्य एक्सप्लोअर करते रहे। लेकिन शिमला के असली सुकून और रोमांच भरे दर्शन तो शहर से दूर-दराज के ग्रामीण आंचलों में हुए, जहाँ किसान अपनी पसीने की बूंदों के साथ माटी को सींच कर फल-सब्जी उत्पादन के क्षे त्र में जमींन से सोना उपजा रहे हैं। पिछले ही वर्ष शिमला के कोटखाई इलाके में ढांगवी गांव में प्रगति शील बागवान रामलाल चौहान से मिलने का सुयोग बना था , जिसमें यहां चल रहे सेब-नाशपाती जैसे फलों की उन्नत प्रजातियों के साथ सफल प्रयोग व इनके आश्चर्यजनक परिणामों को देखने का मौका मिला। सुखद आश्चर्य हुआ था दे खकर कि इनके बगीचों में वैज्ञानिक की प्रयोगधर्मिता और दत्तचित्तता के साथ विश्व की आधुनिकतम फल किस्मों को आजमाया जा रहा

वर्तमान दुर्दशा, दुर्गति का जिम्मेदार कौन

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अपनी जिम्मेदारी आप उठाएं और विषाद-अवसाद से बाहर उबरें हमारी वर्तमान दुर्दशा-दुर्गति का कौन जिम्मेदार है। दूसरों को इसका जिम्मेदार ठहरा कर हम थोड़ी देर के लिए स ु कून-राहत अवश्य महसूस कर सकते हैं, लेकिन इसमें जीवन का दीर्घकालीन समाधान नहीं, इससे स्थिति सुधरने वाली नहीं। यह कुल मिलाकर खुद से धोखा है, जो आगे चलकर हमारे चारित्रिक पतन और दुर्गति को ही सुनिश्चित करता है। यदि हमारा वर्तमान संतोषजनक नहीं है तो इसके समाधान के लिए सबसे पहले हमें अपनी वर्तमान दुर्दशा, दुर्गति के पीछे सक्रिय दुर्मति, नेगेटिव सोच को पहचानना होगा, उसका जिम्मा लेना होगा। हम परिस्थितियों, वाहरी व्यवस्था से शिकायत कर सकते हैं आवश्यक संसाधनों की, अपेक्षित सहयोग की, निहायत जरुरतों की, लेकिन ये हमारे सकल आशा, उत्साह, साहस को कुंद करने के कारण नहीं हो सकते। ये हमें अवसाद-विषाद में डूबने, जीवन के प्रति नकारात् मक होने व खुद में उल झने के कारण नहीं हो सकते।  एक इंसान होने के नाते, ईश्वर के दिव्य अंश होने के नाते, हमारे अंदर वह अग्नि, वह ज्वाला, वह चेतना, वह संकल्प, वह शक्ति, वह जिजीविषा, वह बल, वह संभ