कुल्लू – मानाली लेफ्ट बैंक से होकर यहाँ तक का
सफर
![](https://1.bp.blogspot.com/-9ulMGDLF7wo/YUAteJQquiI/AAAAAAAAH1Y/NQq7x4KMBq0_iInRVpju_5HZ-OVhi4iDgCLcBGAsYHQ/w400-h220/1%2Batal%2Btunnel.png) |
अटल टनल रोहतांग |
अटल टनल के बारे में बहुत कुछ पढ़ सुन चुके थे,
लेकिन इसको देखने का मौका नहीं मिल पाया था। अगस्त माह के पहले सप्ताह में इसका
संयोग बनता है। माता पिता के संग एक साथ घूमने की चिर आकाँक्षित इच्छा भी आज पूरा
होने जा रही थी। भाई राजू सारथी के रुप में सपिवार शामिल होते हैं। सभी का यह पहला
विजिट था, सो इस यात्रा के प्रति उत्सुक्तता के भाव गहरे थे और यह एक यादगार
रोमाँचक यात्रा होने जा रही है, यह सुनिश्चित था।
इस बीच पूरा हिमाचल कई भूस्खलनों की लोमहर्षक
घटनाओं के साथ दहल चुका था। इन्हीं घटनाओं के बीच पिछले सप्ताह से पर्यटकों को ऊँचाईयों
से बापिस नीचे भेजा जा रहा था। मानाली में होटलों में मात्र 10 प्रतिशत यात्री शेष
थे और नई बुकिंग बंद हो चुकी थीं। इसी बीच जब मानाली साईड बारिश कम होती है, तो एक
साफ सुबह हमारा काफिला अटल टनल की ओर निकल पडता है।
![](https://1.bp.blogspot.com/-JHEtGChOIwk/YUAyJ4m4foI/AAAAAAAAH2w/7XiBB1aeR-ou-fZ7Cw8zIloLBpitY_dcQCLcBGAsYHQ/w400-h225/vlcsnap-2021-09-14-09h48m37s93.png) |
ब्यास नदी के संग कुल्लू-मानाली लैफ्ट बैंक रुट |
हम कुल्लु से मानाली लेफ्ट बैंक से होकर
वाया नग्गर जा रहे थे। मालूम हो कि कुल्लू से मानाली लगभग 45 किमी पड़ता है। यह
घाटी दो से चार किमी चौडी है तथा इसके बीचों बीच ब्यास नदी बहती है। जो अपने
निर्मल जल के कारण ट्राईट मछलियों के लिए जानी जाती है। इसकी दुधिया एवं तेज धार
में राफ्टिंग भी सीजन में खूब होती है, इस समय बरसात के चलते नदी पूरे उफान पर
रहती है, अतः इस समय राफ्टिंग की ऑफ सीजन चल रहा था।![](https://1.bp.blogspot.com/-WaAGXacOlUk/YUAt6t08s5I/AAAAAAAAH1g/yhBhM8k-Xyg3cGCYC8xPO4b6y-CyOLRrACLcBGAsYHQ/s320/vlcsnap-2021-09-14-09h52m42s228.png) |
ब्यास नदी |
कुल्लू से मानाली का प्रचलित मार्ग राईट बैंक से है,
जो पतलीकुल्ह-कटराईं से होकर जाता है। लेकिन हम इसके समानान्तर लेफ्ट बैंक से आगे
बढ़ रहे थे। एक तो हमारा घर इस ओर पड़ता है, दूसरा इस ओर की घाटी अधिक चौड़ी एवं
खुली है। रास्ते के नजारे भी अधिक सुदंर हैं। और इस मार्ग का मध्य बिंदु पड़ती है नग्गर,
जो कभी कुल्लू रियासत की राजधानी रहा है।
नगर से पहले हम कायस, कराड़सु, बनोगी, अरछण्डी,
हिरनी, लराँकेलो व घुडदौड़ जैसे पड़ाव से होकर गुजरते हैं। इस समय सड़क के दोनों
ओर सेब के बाग लाल लाल सेब से लदे थे। सेब का सीजन लगभग शुरु हो चुका था।
![](https://1.bp.blogspot.com/-rsSE25Y5N_M/YUAuoK3_5nI/AAAAAAAAH1o/d6HOqnG8ebwG1BdR7Kf05wJarXEku2mywCLcBGAsYHQ/w400-h225/vlcsnap-2021-09-14-10h16m48s68.png) |
नगर - कुल्लू मानाली का मध्य बिंदु |
नगर के बाद छाकी, सरसेई, हरिपुर, गोजरा, जगतसुख,
शूरु, पीणी व अलेऊ जैसे पड़ाव पड़ते हैं। इस मार्ग में भी कदम कदम पर बर्फीले
पहोड़ों से पिघलकर दनदनाते नाले मिले, जिनके कारण कभी यहाँ की सेर (सीढ़ीनुमा
खेतों की विशाल श्रृंखला) धान की फसल के लिए जानी जाती थी, लेकिन आज सेबों का
बगीचों से ये खेत अटे पड़े हैं। केबल 10 प्रतिशत खेतों में ही पारम्परिक अन्न उगाए
जा रहे हैं।![](https://1.bp.blogspot.com/-ybRDc7POI58/YUAvCsXsXpI/AAAAAAAAH1w/rupuyVg-9yIy5dUIo0ogjTCgB7h2po7qACLcBGAsYHQ/w400-h300/IMG-20210714-WA0006.jpg) |
पारम्परिक खेती का सिकुड़ता दायरा |
इस मार्ग में एक और जहाँ देवदार के घने जंगलों से
भरे पहाड़ राहभर एक शीतल अहसास दिलाते हैं, वहीं सामने धोलाधार पर्वत श्रृंखलाएं
और आगे मानाली साईड़ के पहाड़ राह को हिमालय की वादियों में विचरण का दिव्य अहसास
दिलाते हैं। बागवानी एवं पर्य़टन के साथ यहाँ की समृद्ध हो रही आर्थिकी के दर्शन
यहाँ के भव्य भवनों, होटलों एवं वाहनों आदि को देखकर सहज ही किए जा सकते हैं। इसमें
क्षेत्र के लोगों की दूरदर्शिता एवं अथक श्रम का अपना योगदान रहा है। इस मार्ग में
भी राह के ऊपर व नीचे कई ऐतिहासिक एवं पौराणिक स्थल पड़ते हैं, जिनका वर्णन किसी
अलग ब्लॉग में करते हैं।
अलेऊ के बाद सफर मानाली के दायीँ और से गुजरता ,
जो आगे अटल टनल की ओर बढ़ता है।
![](https://1.bp.blogspot.com/-WPjErLrL-f4/YUAvevJpNxI/AAAAAAAAH14/-sWjJTwip0QtwNbbQMm_ZNf4Gx2qwDk2gCLcBGAsYHQ/w400-h225/vlcsnap-2021-09-14-10h26m24s236.png) |
मानाली के आगे सोलांग घाटी की ओर |
इस राह में बाँहग, नेहरु कुण्ड, कुलंग, पलचान जैसी
स्टेश आते हैं, जिसके बाद ब्यास नदी के ऊपर पुल पार करते ही सोलांग वैली में
प्रवेश होता है। रास्ते में ही स्कीईँग स्लोप क दर्शन होते हैं, जो बर्फ पड़ने पर पर्टयकों
से गुलजार रहती है। इस घाटी का अंतिम गाँव सोलाँग गाँव भी थोड़ी देर में दायीं और
अपने दर्शन देता है। और फिर नाले के ऊपर बने पुल को पार करते ही धुँधी के दर्शन
होते हैं, जहाँ से रास्ता आगे व्यास कुण्ड की ओर जाता है।![](https://1.bp.blogspot.com/-aioOWCsDzLA/YUAv4XGMzgI/AAAAAAAAH2A/9ox2qYyhHlgjFqRwheYi-sgVqwR7OemLQCLcBGAsYHQ/w400-h225/vlcsnap-2021-09-14-10h31m01s145.png) |
धुंधी - ब्यास कुण्ड की प्रस्थान बिंदु |
और यहीं से सड़क रोड़ दायीँ और से आगे बढ़ते हुए अटल
टनल पहुँचता है। इस मार्ग की खासियत इसका प्राकृतिक सौंदर्य है और सुन्दर घाटियाँ
हैं, जो किसी भी रुप में विश्व की सुन्दरतम घाटियों से कम नहीं। यह क्षेत्र पहले
पर्यटकों के लिए दुर्गम था और अटल टनल के लिए मार्ग बनने से इसके अकूत प्राकृतिक
सौंदर्य़ संपदा के दर्शन किए जा सकते हैं।![](https://1.bp.blogspot.com/-VIi6DEJp_Gs/YUAwSGxNwfI/AAAAAAAAH2I/3Sdcpk3uZmg4gpXQR2MIFWznrboOXSQKACLcBGAsYHQ/w400-h225/vlcsnap-2021-09-14-10h27m58s135.png) |
सोलांग घाटी का दिलकश प्राकृतिक सौंदर्य |
इसको देखकर, इसे निहार कर मन शीतल हो जाता है,
आल्हादित हो जाता है। मन करता है कि इसका प्राकृतिक ताजगी ऐसी ही अक्षुण्ण रहे।
ताकि हर पर्य़टकों युगों तक इसकी गोद में आकर इसकी शीतल एवं सुकूनदायी स्पर्श पाकर
धन्य हो जाए। हम सबका कर्तव्य बनता है कि इसके संरक्षण में अपना योगदान दें व जब
भी ऐसे क्षेत्रों से गुजरें, इसके सौंदर्य, संतुलन व जैव विविधता को बिना किसी
नुकसान पहुँचाए यहाँ का आनन्द लें।![](https://1.bp.blogspot.com/-JQ2G7UDAj8o/YUAxR4nXrPI/AAAAAAAAH2o/oKQDxGLrX70l2p9zAyNR_Hcj1CjbNd2VQCLcBGAsYHQ/w400-h225/vlcsnap-2021-09-14-10h29m06s50.png) |
सोलांग घाटी की स्कीइंग स्लोप्स - बर्फ के इंतजार में |
अटल टनल की विशेषताएं -
·
विश्व
की सबसे लम्बी हाई अल्टिच्यूट सुरंग, जो 10,000 फीट की औसतन ऊँचाई लिए हुए
है। मानाली की ओर का दक्षिणी छोर लाहौल की ओर का उत्तरी छोर।
·
पीर
पंजाल रेंज के नीचे आरपार बनायी गई है।
·
मानाली
से 25 किमी दूर।
·
कुल
लम्बाई 9.02 किमी
·
इसको
भारतीय सेना की विशिष्ट संस्था बोर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने बनाया है। इसमें विदेशी
कम्पनियों का सहयोग भी मिला है।
·
इसको
बनाने में 10 साल लगे और बजट रहा 3500 करोड़ रुपए के लगभग।
·
सुरंग आधुनिकतम
सुरक्षा उपकरणों से सुसज्जित है तथा आपातकालीन निकास द्वारों से युक्त है।![](https://1.bp.blogspot.com/--2SGon5d-Es/YUAwhw6unII/AAAAAAAAH2M/SOvBuZNE9hkjszzFn4hlJMMgEY3aNWVbgCLcBGAsYHQ/w400-h220/7%2Batal%2Btunnel.png) |
आधुनिकतम उपकरणों से सुसज्जित अटल सुरंग |
·
इसकी
स्पीड़ लिमिट 40 से 60 घण्टे हैं।
·
इसने
मानाली-लेह हाईवे की दूरी 45 किमी कम कर दी है, अर्थात् 4 से 5 घण्टे के सफर को कम
किया है।
·
लाहौल
घाटी के लिए यह सुरंग किसी वरदान से कम नहीं है, जो छः माह सर्दी में भारी
बर्फवारी के चलते बाहर की दुनियाँ से कटी रहती थी, क्योंकि रोहताँग दर्रा भारी
बर्फ के कारण आबाजाही के लिए बंद रहता था।![](https://1.bp.blogspot.com/-TIQI1paU3Tc/YUAwwOFbYtI/AAAAAAAAH2U/z3mUB9xzGIIEbbEa9er_Gu4zK2nhkSIoACLcBGAsYHQ/w400-h220/8%2Blauhal%2Bvalley.png) |
अटल टनल के बाहर लाहौल घाटी में प्रवेश |
·
पर्यटकों
के लिए भी एक वरदान की तरह से है, जो सर्दियों में लाहौल घाटी में बर्फ का आनन्द
ले सकते हैं।
·
हाँ,
थोड़ा चिंता का विषय भी है, कि पर्यटकों के गैर जिम्मेदाराना रवैये एवं अधिक भीड़
के चलते यहाँ के पर्यावरण, जैवविविधता एवं वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता
है।
![](https://1.bp.blogspot.com/-nOMGM4qDQgQ/YUAw7B4F0hI/AAAAAAAAH2c/idAE3Hi6iowJPKi2BIM71XoWWqogs9mYACLcBGAsYHQ/w400-h225/9%2BAtal%2Btunnel.png) |
पुनः पधारने का आमंत्रण देती अटल टनल |