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मेरा गाँव मेरा देश - पर्वतारोहण का विधिवत प्रशिक्षण, भाग-1

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एडवेंचर कोर्स के वो रोमाँचक दिन 1991 के मई माह में किसी विज्ञापन से पता चलता है कि मानाली स्थित माउंटेनीयरिंग इंस्टीच्यूट में पंद्रह दिवसीय एडवेंचर कोर्स के लिए सीटें निकली हैं। इसमें एप्लाई करते हैं और प्रवेश भी मिल जाता है। पता चला कि इसके अलावा यहाँ पर्वतारोहण के एक-एक मासीय बेसिक और एडवांस कोर्स भी चलते हैं। हमने शुरुआत एडवेंचर कोर्स से करनी उचित समझी, जो लगभग 15 दिन का था। इसमें लगभग 15 प्रवेशार्थी थे। मैं सबसे बड़ा 22 साल का, बाकि सब अंडर 17 थे। मैं अभी-अभी पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना से अपनी बीटेक की पढ़ाई पूरी कर बाहर निकला था। मेरी पहाड़ों में रुचि बचपन से थी, जब से होश संभाला था। अब तक अपने पहाड़ों में घूमने के शौक को अपने ढंग से अंजाम देता रहा था। कभी ग्वाला बनकर गाय-बैल, भेड़-बकरियों के साथ, तो कभी जंगल से घास-पत्ति व सूखी लकड़ियों को लाने के वहाने, कभी अपने मवेशियों को जंगल में छोड़ने व वहाँ रात को रुकने के साथ, तो कभी देवताओं के साथ पहाड़ों के उस पार देवयात्रा का हिस्सा बनकर, तो कभी भादों की बीस में पावन जल स्नान हेतु पहाड़ी चश्में की सैर और कभी एक धा