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वर्ष-2020 के ऐतिहासिक-युगान्तरीय पल

अस्पताल की पाठशाला में जीवन का तत्व-बोध वर्ष 2020 इतिहास के पन्नों में एक यादगार वर्ष के रुप में अंकित रहेगा, जिसमें इंसान एवं मानवीय सभ्यता कई ऐतिहासिक एवं युगान्तरीय घटनाओं की साक्षी बनी। घटनाओं का क्रम जिस तरह से व्यक्ति, समाज, राष्ट्र एवं समूचे विश्व को मंथता हुआ आगे बढ़ा, इसमें कोई संदेह नहीं रहा कि ये ईश्वरीय विधान था, महाकाल की योजना का हिस्सा था, प्रकृति का अपने बच्चों की नादानियों के लिए कठोर सबक भरा उपचार था, जिसमें सभी को गहन आत्मावलोकन का अवसर मिला, अपने भूत की भूल-चूकों को सुधारने का संयोग बना और बेहतरीन भविष्य के लिए सरंजाम जुटाने की समझ मिली। हमारी भी लम्बे अर्से की गुफा में प्रवेश करने व धुनी रमा कर रहने की इच्छा इसमें पूरी हुई। हिमालय यात्रा के दौरान प्रायः पर्वत कंदराओं को देखकर यह इच्छा बलवती होती थी। कोरोना काल के बीच अस्पताल की परिक्रमा, भर्ती से लेकर तमाम तरह के अनुभवों से रुबरु होते रहे, जो लगता है कोरोना काल के बीच अपनी पूर्णाहुति की ओर अग्रसर है। 20 फरवरी 2020 के आसपास लक्ष्ण शुरु हो गए थे। बहाना गंगाजी के बर्फीले जल में डुबकी रहा। लेकिन उसके पिछले कई माह

रचनात्मक उत्कृष्टता (Creative excellence)

रचनात्मक उत्कृष्टता ( Creative excellence ) – अर्थ, उपकरण एवं प्रक्रिया ( Meaning, its tools and process ) रचनात्मकता ( Creativity ) मनुष्य की एक ऐसी विशेषता है, जिसके आधार पर वह नित नूतन नया सृजन करता रहा है तथा समूची मानवीय सभ्यता-संस्कृति की विकास यात्रा आगे बढ़ी है। साहित्य, कला, मानविकी, धर्म-अध्यात्म, संस्कृति, दर्शन आदि इसी के परिणाम है, जो आज विज्ञान, टेक्नोलॉजी एवं संचार क्राँति के चरम पर विकास के वर्तमान मुकाम तक आ पहुँचा है। रचनात्मकता ( Creativity ) का अर्थ कुछ नया सृजन करने की क्षमता से है, किसी कार्य को नए अंदाज से करने की प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति की मौलिकता झलकती हो। इसमें किसी समस्या के रचनात्मक ढंग से समाधान की क्षमता भी शामिल है। सार रुप में, Creativity is to create something as if out of nothing… जो पहले था नहीं...। जैसे – कोई नई कविता , गीत , संगीत , चित्रकला , लेखन , विचार-पटकथा , फिल्म , अभिनय , शोध , फोटोग्राफी , खोज , आविष्कार आदि । रचनात्मक उत्कृष्टता ( Creative excellence ) किसी व्यक्ति की रचनात्मक क्षमता का अपने श्रेष्ठतम रुप में प्रदर्शन एव

शिमला के आसपास के दर्शनीय स्थल

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                                          शिमला से कुफरी, चैयल, नारकण्डा, मशोवरा और सराहन शिमला के बाहर आस-पास घूमने के कुछ बेहतरीन स्थल हैं, जहाँ हिमालय की वादियों में भ्रमण का आनन्द लिया जा सकता है। एडवांस्ड स्टडी में रहते हुए प्रायः एक माह का स्पैल पूरा होने पर हम अपने साथियों के साथ एक टैक्सी हायर कर इनका अवलोकन करते रहे। इसमें कुफरी, चैयल, मशोबरा, नारकण्डा, हाटू पीक, सराहन भीमाकाली मंदिर आदि उल्लेखनीय हैं, जो एक-दो दिन में आसानी से कवर हो जाते हैं। यहाँ शिमला के ग्रामीण आँचल में हो रहे खेती एवं बागवानी के प्रयोगों की एक झलक उठा सकते हैं। प्रकृति के वैभव को समेटे यहाँ की हिमालयन वादियों के बीच यात्रा सदैव रोमाँचक अनुभव रहता है और ज्ञानबर्धक भी। ग्रामीण शिमला की ओर शिमला शहर से बाहर निकलने के दो रास्ते हैं। एक लक्कड़ बाजार से होकर। विक्टरी टन्नल को पार करते ही थोड़ी देर में लक्कड़ बाजार बस स्टैंड आता है, इसके आगे कुछ ही समय में सफर एक पुल के नीचे से होकर गुजरता है। आगे आता है शिमला का इंदिरा गाँधी मेडिकल कालेज एवं हॉस्पिटल। यहाँ तक व इसके थोड़ा आगे संजोली तक राजधानी की बढ़ती आ