लेखन कला, युगऋषि पं.श्रीराम शर्मा आचार्यजी के संग
लेखन प्रारम्भ करने से पूर्व मनन करने योग्य कुछ सुत्र 1 उत्कट आकांक्षा महान लेखक बनने की उत्कट अभिलाषा लेखक की प्रमुख विशेषता होनी चाहिए। वह आकांक्षा नाम और यश की कामना से अभिप्रेरित न हो। वह तो साधना के परिपक्व होने पर अपने आप मिलती है, पर साहित्य के आराधक को इनके पीछे कभी नहीं दौड़ना चाहिए। आकांक्षा दृढ़ निश्चय से अभिप्रेरित हो। मुझे हर तरह की कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने ध्येय की ओर बढ़ना है, ऐसा दृढ़ निश्चय जो कर चुका है, वह इस दिशा में कदम उठाए। उत्कृष्ट लेखन वस्तुतः योगी मनोभूमि से युक्त व्यक्तियों का कार्य है। ऐसी मनोभूमी होती नहीं, बनानी पड़ती है। ध्येनिष्ठ साधक ही सफल रचनाकार बन सकते हैं। 2 एकाग्रता का अभ्यास लेखन में साधक को विचारों की एकाग्रता का अभ्यास करना पड़ता है। एक निश्चित विषय के इर्द-गिर्द सोचना और लिखना पड़ता है। यह अभ्यास नियमित होना आवश्यक है। मन की चंचलता, एकाग्रता में सर्वाधिक बाधक बनती है। नियमित अभ्यास इस अवरोध को दूर करने का एकमात्र साधन है। व्यायाम की अनियमितता के बिना कोई पहलवान नहीं बन सकता। रियाज किए बिना कोई संगीतज्ञ कैसे बन