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नया भारत उठेगा फिर...

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तिरंगे का पैगाम हर कोई चाहता है जीवन में, सफलता, उपलब्धि, बुलन्द पहचान संग, सुख-शांति, खुशी, सुकून अपार, बस प्रश्न एक ही, कितना हम कीमत चुकाने हैं तैयार। यही बात सच है अपने देश की, राष्ट्र की, मातृभूमि की, चाहे इसे कोई इंडिया कहे या भारत, अधिक फर्क नहीं पड़ता, लेकिन इतना सुनिश्चित, नहीं यह महज माटी का टुकड़ा, इसकी बुलंदी माँगे कीमत अपनी, कितना हम चुकाने को तैयार।     जीवंत सत्ता है इसकी, कालजयी है इसका व्यक्तित्व-इतिहास, गौरवपूर्ण रहा है अतीत इसका , शाश्वत-सनातन जिसकी पहचान, काल के अनगिन थपेड़ों में भी नहीं मिट सकी है हस्ती जिसकी, इसको समझे, अनुभव किए बिना, अधूरे रहेंगे खाली अरमान।   बस, ज़रा निहार लें तिरंगे को, थोड़ा उतर कर गहराईयों में एक बार,   छिपे हैं जहाँ राज सारे , स्पष्ट है जिनका पैगाम,  हरा रंग है प्रतीक शांति का, प्रगति का, खुशहाली का, सफेद और केसरिया हैं जिसके आधार।   केसरिया रंग प्रतीक त्याग-बलिदान का, जज्बा कुछ कर गुजरने का, सत्य के लिए जीने-मरने का, श्रम श्