मेरा गाँव मेरा देश – यादें बचपन की

ब्यास नदी का तट और वन विहाल(विहार) -2 ( समाप्न किश्त) देवतरू वन की छाया में – यहाँ का एक खास आकर्षण रहता गगनचुम्बी देवदारों से अटा टीला। इसके आगोश में हम खुद को जैसे विराट की गोद में पाते और अपने अकिंचन से अस्तित्व को गहराई से अनुभव करते। देवतरुओं की शीतल छाया , शुद्ध वायु. नीरव शांति में विताए पल एक दूसरे लोक में विचरण की अनुभूति देते। इसकी छाया में बने चट्टानी आसन हमारे विश्राम का स्थल होते। यहीँ पर चर कर तृप्त और थके हुए मवेशी भी विश्राम करते और हम निश्चिंत होकर कुछ पल सुकून के बिताते। यहीँ पर बैठकर साथ लाया नाश्ता करते। दोपहर के नाश्ते में प्रायः रोटी , गुढ़ , मक्खन , सेब , अखरोट आदि रहते। इसी स्थल पर स्कूल की पिकनिक की यादें भी ताजा हो जाती हैं, जब पूरा स्कूल अपने शिक्षकों के साथ यहाँ पिकनिक मनाने आया था। शमशान घाट का सन्नाटा – इसी के नीचे ब्यास नदी के तट पर खुले आसमाँ के नीचे शमशान घाट है। यहाँ का सन्नाटा हमें एक अलग ही अनुभूति देता। कल-कल बहती ब्यास नदी के किनारे स्थित इस मरघट में एक अलग ही शांति रहती। इसके किनारे नश्वर जीवन का तीखा बोध होता। हमारे कित