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बीत चला वर्ष 2014, 2015 के स्वागत की तैयारी...

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वीत चला वर्ष 2014 भी आज, पता ही नहीं चला सब कैसे, ऐसे ही बीत गए दशक कई, विदाई के स्वर दस्तक दे रहे, यही सतत् परिवर्तनशील इस नश्वर जगत की कहानी, इसमें सृजन के रंग भरना, यही सार्थक जीवन की निशानी। वर्ष 2014 रहा गवाही ऐतिहासिक परिवर्तनों का, बेजोड़ उपलब्धियों संग अमानुषिक मंजर भी देखे, किरण फूटी आशा की इस वर्ष जनमानस में, देश के भाग्य को करवट बदलते देखा, विश्व पटल पर एक नई पहचान मिली देश को, साथ ही दिख रही विश्व में एक निर्णायक युद्ध की तैयारी। हो भी क्यों न, आखिर, विप्लवी संक्रमण का दौर है यह, जिसके हम सब गवाही,   युग परिवर्तन के हम साक्षी, सृजन साधक, जाग्रत सिपाही, भूमिका इसमें अकिंचन ही सही, किंतु सार्थक-सुनिश्चित तय हमारी, और कुछ कर सके या न कर सके, बस बनाए रखना थोड़ा सा धैर्य, विश्वास और समझदारी। यह दुनियाँ होगी बेहतर, अंधेरा क्रमशः छंटेगा जीवन का, बस थामे रहना दामन जाग्रत सपनों का,  संग शिव संकल्प अपने उर में, विकल्पों की भीड़ छंटेगी, होंगे संकल्प पूरे बारी-बारी, बीत चला वर्ष 2014, 2015 के स्वागत की तैयारी।।