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लक्ष्य निर्धारण – रखें अपनी मौलिकता का ध्यान

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अपनी अंतःप्रेरणा को न करें नजरंदाज जीवन में लक्ष्य का होना बहुत महत्वपूर्ण है। बिना लक्ष्य के व्यक्ति उस पेंडुलम की भांति होता है , जो इधर-ऊधर हिलता ढुलता तो रहता है , लेकिन पहुँचता कहीं नहीं। जीवन का लक्ष्य स्पष्ट न होने पर व्यक्ति की ऊर्जा यूँ ही नष्ट-भ्रष्ट होती रहती है और हाथ कुछ लगता नहीं। फिर कहावत भी है कि खाली मन शैतान का घर। लक्ष्य विहीन जीवन खुराफातों में ही बीत जाता है , निष्कर्ष ऐसे में कुछ निकलता नहीं। पश्चाताप के साथ इसका अंत होता है और बिना किसी सार्थक परिणाम के एक त्रास्द दुर्घटना के रुप में वहुमूल्य जीवन का अवसान हो जाता है। अतः जीवन में लक्ष्य का होना बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन जीवन लक्ष्य निर्धारण में प्रायः चूक हो जाती है। अधिकाँशतः बाह्य परिस्थितियाँ से प्रभावित होकर हमारे जीवन का लक्ष्य निर्धारण होता है। समाज का चलन या फिर घर में बड़े-बुजुर्गों का दबाव या बाजार का चलन या फिर किसी आदर्श का अंधानुकरण जीवन का लक्ष्य तय करते देखे जाते हैं। इसमें भी कुछ गलत नहीं है यदि इस तरह निर्धारित लक्ष्य हमारी प्रतिभा , आंतरिक चाह , क्षमता और स्वभाव से मेल खाती हो। ले

चरित्र निर्माण, कालजयी व्यक्तित्व का आधार

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"Character has to be established trough a thousand stumbles. Swami Vivekananda"  चरित्र, अर्थात्, काल के भाल पर व्यक्तित्व की अमिट छाप      चरित्र, सबसे मूल्यवान सम्पदा -    कहावत प्रसिद्ध है कि , यदि धन गया तो समझो कुछ भी नहीं गया, यदि स्वास्थ्य गया तो समझो कुछ गया और यदि चरित्र गया, तो समझो सब कुछ गया। निसंदेह चरित्र, व्यक्तित्व क ी सबसे मूल्यवान पूँजी है, जो जीवन की दशा दिशा- और नियति को तय करत ी है। व्यक्ति की सफलता कितनी टिकाऊ है, बाह्य पहचान के साथ आंतरिक शांति-सुकून भी मिल पा रहे हैं या नहीं, सब चरित्र निर्माण के आधार पर निर्धारित होते हैं। व्यवहार तो व्यक्तित्व का मुखौटा भर है, जो एक पहचान देता है, जिससे एक छवि बनती है, लेकिन यदि व्यक्ति का चरित्र दुर्बल है तो यह छवि, पहचान दूर तक नहीं बनीं रह सकती। प्रलोभन और विषमताओं के प्रहार के सामने व्यवहार की कलई उतरते देर नही लगती, असली चेहरा सामने आ जाता है। चरित्र निर्माण इस संकट से व्यक्ति को उबारता है, उसकी पहचान, छवि को   बनाए रखने में मदद करता है, सुख के साथ आनन्द का मार्ग प्रशस्त करता है।  

बस एक ही खासियत देखता हूँ इस अंधियारे में

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हिम्मत नहीं हारा हूँ अभी लिए अंतिम विजय की आश, खुद पर अटल विश्वास एक ईमानदार कोशिश करता हूँ रोज खुद को गढ़ने की,  लेकिन अभी, आदर्श से कितना दूर, अज्ञात से कितना मजबूर। लोग कहते हैं कि सफल इंसान हूं अपनी धुन का,  दे चुका हूँ कई सफल अभियानों को अंजाम,  सफलता की बुलंदियों पर खुशियों के शिखर देखे हैं कितने , लगा जब मुट्ठी में सारा जहाँ। फिर सफर ढलुआ उतराई का, सफलता से दूर, गुमनामी की खाई, सफलता का शिखर छूटता रहा पीछे, मिली संग जब असफलता की परछाई, मुट्ठी से रेत सा फिसलता समय, हाथ में जैसे झोली खाली, ठगा सा निशब्द देखता हूँ सफलता-असफलता की यह आँख-मिचौली। ऐसे में, सरक रही, जीवन की गाड़ी पूर्ण विराम की ओर, दिखता है, लौकिक जीवन का अवसान जिसका अंतिम छोर, सुना यह एक पड़ाव शाश्वत जीवन का, बाद इसके महायात्रा का नया दौर, क्षण-भंगुर जीवन का यह बोध, देता कुछ पल हाथ में शाश्वत जीवन की ढोर। जीवन की इस ढलती शाम में, माना मंजिल, अभी आदर्श से दूर, बहुत दूर, एक असफल इंसान महसूस करता हूँ खुद को, आदर्श के आयने में, आदर्श से अभी कितना दूर, अज्ञात से कितना मज

नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर ले जाता सृजन पथ

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जुड़ें पॉजिटिव ऊर्जा के स्रोत से   हर इंसान सुख शांति की तलाश में है। उत्साह उमंग आशा से भरे पलों में वह आंशिक रुप में इस तलाश को पूरी होता पाता है। ये पॉजिटिव ऊर्जा से भरे पल होते हैं। लेकिन इसके क्षीण होते ही जीवन में निराशा-हताशा के काले बादल मंडराने लगते हैं,   और जीवन अवसाद के सघन कुहासे में कहीं सिसकने लगता है। इस अंधेरे कोने से उबरने और जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से जोड़ने के लिए आवश्यक है कि सकारात्मक ऊर्जा के स्रोत की खोज की जाए, इसकी ओर रुख किया जाए, जिससे कि एक कलाकार की भांति उतार-चढ़ावों के बीच एक संतुलित जीवन जिया जा सके। प्रस्तुत है पाजिटिव ऊर्जा स्रोत से जोड़ते कुछ ऐसे ही सुत्र-    1.      अपनी प्रतिभा एवं रुचि से जुड़ा जीवन लक्ष्य – यदि जीवन लक्ष्य स्पष्ट है तो आधी जीत हासिल समझो। फिर हर पल व्यक्ति इसको पाने के निमित सृजनात्मक प्रयास में व्यस्त रहता है और नकारात्मक विचारों को घुसने का मौका ही नहीं मिल पाता। और अगर जीवन लक्ष्य स्पष्ट नहीं तो , जीवन एक दिशाहीन नाव की भांति परिस्थितियों के   थपेड़ों के बीच हिचकोले खाने के लिए विवश होता है। अतः अपनी रुचि