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यात्रा वृतांत - जब आया बुलावा बाबा नीलकंठ महादेव का, भाग-2

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पर्वत की गोद में बाबा का कृपा प्रसाद नीलकंठ घाटी में प्रवेश – घुमावदार सड़कों से होते हुए कुछ ही मिनटों में हम नीलकंठ क्षेत्र में प्रवेश कर चुके थे, उस पार पहाड़ी की गोद में सीढीनुमा खेतों के दर्शन हो रहे थे , जिसके किनारे पहाड़ी गाँव बसे हैं। चावल की खेती इनमें पकती तैयार दिख रही थी। रास्ते में ही सड़क के किनारे नए-नए मंदिर खड़े हो गए हैं , जहाँ द्वादश ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई है। साथ ही बड़े-बड़े होटेल रुपाकार ले रहे हैं। तमाम दुकानें सजी हैं , जहाँ एक मुखी से लेकर तमाम मुखी रुद्राक्षों की बिक्री गारंटी के साथ होने के बोर्ड लगे हैं। धर्म का भी अपना बाजार है , रोजगार है , यहाँ इसके दर्शन किए जा सकते हैं। रास्ते में इसी की आड़ में भिखारियों को भी अपना धंधा करते देखा जा सकता है , ताजुक तो तब होता है जब हट्टे-कट्टे बाबाजी को आसन जनाकर श्रद्धालुओं की श्रद्धा एवं भय का दोहन करते देखा जाता है। नीलकंठ महादेव , झरना , संगम –  इन सबको नजरंदाज करते हुए हम अपने चित्त को समेटे नीलकंठ मंदिर की ओर बढ़ रहे थे। स्वागत द्वार में लटकी घंटी की गुंजार के साथ हमने तीर्थ परिस