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मानवीय इच्छा शक्ति के कालजयी प्रेरक प्रसंंग

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 मनुष्य ठान ले तो क्या नहीं कर सकता मनुष्य इस सृष्टि की सर्वश्रेष्ठ रचना है, जिसके लिए कुछ भी असम्भव नहीं। यदि वह ठान ले तो कुछ भी कर सकता है। जीवन का भौतिक क्षेत्र हो या आध्यात्मिक, वह किसी भी दिशा में चरम बुलन्दियों को छू सकता है। ऐसे अनगिन उदाहरण भरे पड़े हैं जो अपने संकल्प-साहस के बल पर अदनी सी, अकिंचन सी हैसियत से ऊपर उठते हुए जीरो से हीरो बनने की उक्ति को चरितार्थ करते हैं, व कर रहे हैं। रसातल से चरम शिखर की इनकी यात्रा थके हारे मन को   प्रेरणा देती है। सेंडो और चंदगी राम जैसे विश्वविख्यात पहलवान बचपन में गंभीर रोगों से ग्रसित थे। शरीर से दुर्बल इन बालकों से दुनियाँ को कोई उम्मीद नहीं थी। किसी तरह वे शरीर से स्वस्थ हो जाएं, इतना ही काफी था। लेकिन दोनों बालक दूसरी ही मिट्टी के बने थे। दोनों अपने जमाने के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बनना चाहते थे। इस लक्ष्य के अनुरुप वे अपनी कसरत जारी रखते हैं और एक दिन दुनियां के सामने अपने स्वप्न को साकार कर दिखाते हैं। ऐसे न जाने और कितने ही शरीर से रोगी, दुर्वल यहाँ तक कि अपंग व्यक्ति होंगे जो आज भी उसको पार करते हुए शरीरिक