मेरा गाँव मेरा देश – बर्फ के संग विताए यादगार पल

प्रकृति की गर्माहट भरी गोद में बचपन की रुमानी यादें प्रकृति की नीरवता के बीच आनन्द के पल - बर्फ के बारे में जब भी विचार करता हूँ, तो मन किसी दूसरे लोक में स्वर्गीय आनन्द की अनुभूतियों के संग विचरण करने लगता है। सहज ही याद आते हैं फुर-फुर गिरती बर्फ के अनगिन फाओं के बीच घर की खिड़की से आसमान को निहारता बचपन, बड़े-बुजुर्गों की गर्माहट भरी गोद में निर्द्न्द-निश्चिंत मासूम वालपन , उत्सव का रुप ले चुका घर-परिवार, गाँव-मुहल्ले का वातावरण, पूरे गाँव-घाटी में छाया सन्नाटा और नीरव शांति। प्रकृति जैसे कुछ पल, कुछ काल के लिए ठहर सी जाती ; नीरव मौन के संग आत्मस्थ, ध्यानस्थ, समाधिस्थ। प्रकृति माँ की गोद में उसका हर प्राणी शिशुवत् मस्त, मग्न और आनन्द में डूबा हुआ प्रतीत होता। काम की सारी चिंताएं, जीवन के सारे तनाव-अवसाद, चित्त् के सकल विक्षोभ अंतर्ध्यान हो जाते। इन पलों की मस्ती का आलम शब्दों में वर्णन करना कठिन है। प्रकृति की नीरव शांति के बीच पक्षियों का कलरव इसमें नई मिठास घोलता। आज, बर्फ से दूर, प्रकृति के इस दिव्य उपहार के लिए आकूल जीवन का उत्तरार्ध, बचपन के बर्फ संग विताए प