थोड़ा सा धीरज, थोड़ा सा विश्वास

चाहते हो अगर शांति , सुकून , सुख सच्चा चाहते हो अगर शांति , सुकून , सुख सच्चा , तो थोड़ा सा धीरज , थोड़ा सा विश्वास धारण करना होगा। अधीर मन दुश्मन शांति का , बने काम पल भर में बिगाड़ दे , दही अभी जमा भी नहीं था कि कच्चे दूध से मक्खन निकालने लगे। रिश्तों की डोर बड़ी नाजुक , गलतफहमी विष विकराल जड़ घातक , बिना कारण समझे , पल भर में निष्कर्ष पर उतरना संघातक। थोड़ा सा धीरज धारण कर तो देख अधीर मन , काल को भी पक्ष में करने की कला सीख ली फिर तूने , विरोधियों की क्या विसात , दुश्मन भी तेरा लौहा मानेंगे । लेकिन अधीर मन , नहीं अगर धीरज इंतजार का , हथेली पर फल की चाह तत्काल बीज गलने से पहले , तो फिर , प्रतिक्रिया , वाद-प्रतिवाद, संतप्त जीवन रहेगी नियति , उर में अशांति धारण किए , फिर , बाहर अंधकार की शिकायत बेमानी। सच्चाई-अच्छाई-भलाई की भी है कोई शक्ति , विश्वास कर , आजमा कर दो देख , अपमान नहीं किसी का , उपेक्षा हो सकती है , थोड़ा सा धीरज धारण कर तो देख। चाह अमृत फल की , लेकिन चाल सारी नश्वर जगत की , शाश्वत के संग , प्