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पुस्तक सार, समीक्षा - वाल्डेन

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प्रकृति की गोद में जीवन का अभूतपूर्व दर्शन वाल्डेन, अमेरिकी दार्शनिक , विचारक एवं आदर्श पुरुष हेनरी डेविड़ थोरो की कालजयी रचना है। मेसाच्यूटस नगर के समीप काँकार्ड पहाड़ियों की गोद में स्थित वाल्डेन झील के किनारे रची गयी यह कालजयी रचना अपने आप में अनुपम है, बैजोड़ है। प्रकृति की गोद में रचा गया यह सृजन देश, काल, भाषा और युग की सीमाओं के पार एक ऐसा शाश्वत संदेश   लिए है, जो आज भी उतना ही ताजा और प्रासांगिक है। ज्ञात हो कि थोरो दार्शनिक के साथ राजनैतिक विचारक, प्रकृतिविद और गुह्यवादी समाजसुधारक भी थे। महात्मा गाँधी ने इनके सिविल डिसओविडियेंस (असहयोग आंदोलन) के सिद्धान्त को स्वतंत्रता संघर्ष का अस्त्र बनाया था। यह थोरो का विद्रोही स्वभाव और प्रकृति प्रेम ही था कि वे जीवन का अर्थ खोजते-खोजते एक कुटिया बनाकर वाल्डेन सरोवर के किनारे वस गए।   थोरो के शब्दों में, मैने वन-प्रवास आरम्भ किया , क्योंकि मैं विमर्शपूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहता था , जीवन के सारभूत तथ्यों का ही सामना करना चाहता था , क्योंकि मैं देखना चाहता था कि जीवन जो कुछ सिखाता है , उसे सीख सकता हूँ या नहीं।