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Creative use of stress and emotions

  तनाव एवं भावनाओं का रचनात्मक प्रयोग Stress –   दैनिक जीवन में तनाव का आना स्वाभाविक है , यह जीवन का अंग है। जब व्यक्ति किसी चुनौतीपूर्ण परिस्थिति का सामना करता है तो फाईट या फ्लाइट (जुझो -लड़ो या भागो) की स्थिति में शरीर से ऐसे जैविक रसायन (Harmons) निकलते हैं, जो उसे इनका सामना करने के लिए तैयार करते हैं। व्यक्ति इनसे निपटने के लिए आवश्यक तत्परता, जुझारुपन और एकाग्रता से लैंस हो जाता है तथा इनके पार हो जाता है। इस तरह तनाव जीवन का एक सहायक तत्व है, लेकिन जब यह तनाव किसी कारणवश लगातार लम्बे समय तक बना रहता है, तो यह तन-मन के लिए नुकसानदायक हो जाता है और यह व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। ऐसे में व्यक्ति की मानसिक एकाग्रता, यादाशत एवं कार्य करने की क्षमता धीरे-धीरे प्रभावित होने लगती है। व्यक्ति सही ढंग से भोजन नही कर पाता, नींद डिस्टर्ब हो जाती है। प्रायः तनाव में व्यक्ति या तो भूखे रहता है या अधिक खाने की समस्या से ग्रसित हो जाता है। उसे छोटी-छोटी बातों पर खीज व गुस्सा आने लगता है, स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। चुनौतियों से जूझने और सामन

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला

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Indian Institute of Advanced Study (IIAS Shimla) शिमला की पहाडियों की चोटी पर बसा भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला का एक विशेष आकर्षण है, जो शोध-अध्ययन प्रेमियों के लिए किसी तीर्थ से कम नहीं। उच्चस्तरीय शोध केंद्र के रुप में इसकी स्थापना 1964 में तत्काकलीन राष्ट्रपति डॉ.एस राधाकृष्णन ने की थी। इससे पूर्व यह राष्ट्रपति भवन के नाम से जाना जाता था और वर्ष में एक या दो बार पधारने वाले राष्ट्र के महामहिम राष्ट्रपति का विश्रामगृह रहता था, साल के बाकि महीने यह मंत्रियों और बड़े अधिकारियों की आरामगाह रहता। डॉ. राधाकृष्णन का इसे शोध-अध्ययन केंद्र में तबदील करने का निर्णय उनकी दूरदर्शिता एवं महान शिक्षक होने का सूचक था।   आजादी से पहले यह संस्थान देश पर राज करने वाली अंग्रेजी हुकूमत की समर केपिटल का मुख्यालय था। सर्दी में कलकत्ता या दिल्लीतो गर्मिंयों में अंग्रेज यहाँ से राज करते थे और इसे वायसराय लॉज के नाम से जाना जाता था। अतः यह मूलतः अंग्रेजी वायसरायों की निवासभूमि के रुप में 1888 में तैयार होता है, जिसमें स्कॉटिश वास्तुशिल्प शैली को देखा जा सकता है। इसे शिमला की सात पहाड़ियों में से

शिमला के ट्रेकिंग ट्रेल्ज एवं दर्शनीय स्थल

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  हिमाचल प्रदेश की राजधानी के साथ शिमला का हिल स्टेशन के रुप में सदा से एक विशेष स्थान रहा है। हालाँकि बढ़ती आबादी, मौसम की पलटवार और गर्मियों में पानी की कमी के चलते यहाँ नई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है, लेकिन प्रकृति एवं रोमाँच प्रेमियों के लिए इस हिल स्टेशन में बहुत कुछ है, जो इसके भीड़ भरे बाजारों से दूर एक अलग दुनियाँ की सैर साबित होता है। यहाँ पर ऐसे ही कम प्रचलित ऑफ-बीट किंतु दर्शनीय स्थलों की चर्चा की जा रही है।           जब अंग्रेज घोड़ों पर सवार होकर इस इलाके से 1815 के आसपास गुजरे थे, तो देवदार से घिरे इस स्थल को देखकर उन्हें इँग्लैंड-स्कॉटलैंड के अपनी ठण्डी आवोहवा वाले क्षेत्रीय पहाड़ों की याद आई थी। और इसे अपने आवास स्थल के रुप में विकसित करने की योजना बनी। तब यहाँ चोटी पर मात्र जाखू मंदिर था और आस पास कुछ बस्तियाँ।सन 1830 तक यहाँ 50 घर आबाद हो चुके थे और आबादी मुश्किल से 600 से 800 की थी।धीरे-धीरे यह एक हिल स्टेशन और गर्मियों में समर केपिटल के नाम से प्रख्यात हुई। उस समय श्यामला माता (काली माता) के मंदिर के रुप में इस इलाके का नाम शिमला पड़ा। आज काली बाड़ी के