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यात्रा वृतांत - हेमकुंड़ साहिब का रोमाँचक सफर-1

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गोविंदघाट से घाघरिया, 14 किमी ट्रैकिंग मार्ग खोज गुरुगोविंद सिंहजी की आत्मकथा की – गुरुगोविंद सिंहजी से बचपन से ही गहरा लगाव रहा है। घोड़े पर सवार, हाथ में बाज लिए एक यौद्धा संत की छवि जहाँ भी दिखती, अंतरमन को झंकृत कर देती। जब स्वामी विवेकानन्द के शब्दों में गुरुसाहिबान का बखान सुना तो श्रध्दा और भी बढ़ गई। कहीं पढ़ा कि गुरुजी ने पूर्वजन्म में हिमालय में घोर तप किया था, जिसका जिक्र उनकी आत्मकथा में मिलता है। मूल उद्धरण को जानने के लिए अब आत्मकथा खोजने की कवायद शुरु हो गई। कई वर्षों तक पुस्तक स्टालों पर खाक मारता रहा, पर मिली नहीं। अंत में दिल्ली के विश्व पुस्तक मेला में अमृतसर से आए एक सिक्ख सज्जन को जब हमारी खोज का अहसास हुआ, तो वो सुंदर नीले मखमली कपड़े में लिपटा विचित्र नाटक हमको भेंट कर गए। लगा जैसे हमारे मन की मुराद पूरी हो गई। यात्रा की पृष्ठभूमि – पुस्तक पढ़ते-पढ़ते स्पष्ट हुआ कि पूर्व जन्म में गुरु गोविंद सिंहजी ने किस स्थल पर कैसे योग साधा था। उस स्थल, हेमकुण्ड साहिब को देखने का ध्रुव लक्ष्य बन चुका था। विभाग के पत्रकारिता छात्रों के यात्रा वृ