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यात्रा वृतांत - सुरकुंडा देवी का यादगर सफर, भाग-2

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गढ़वाल हिमालय की सबसे मनोरम राहों में एक हिमालय के आलौकिक वैभव की पहली झलक चम्बा को पार करते ही हम आराकोट स्थान पर पहुंचे, जहाँ से हिमाच्छादित हिमालय की ध्वल श्रृंखलाओं के प्रत्यक्ष दर्शन करते ही काफिले के हर सदस्य के मुंह से आह-वाह के स्वर निकल रहे थे। चलती बस से सभी इसको मंत्र मुग्ध भाव से निहार रहे थे। थोड़ी ही देर में हिमालय की ध्वल पर्वत श्रृंखलाएं दृष्टि से औझल हो चुकी थी। अब हम पहाड़ी के वायीं ओर से आगे बढ़ रहे थे। ऐसे में नीचे दक्षिण में देहरादून की ओर की पहाड़ियों व घाटियों के दर्शन हो रहे थे। यहाँ सीढ़ीनुमा खेत प्रचुर मात्रा में दिखे, जो देखने में बहुत सुंदर लग रहे थे। पहाड़ी यात्रा के दौरान ये खेत निश्चित रुप में पथिकों का ध्यान आकर्षित करते हैं और सफर का एक सुखद अहसास रहते हैं। रास्ते में हम चुपडियाल नामक हिल स्टेशन को पार करते हुए आगे बढ़े। सड़क के साथ सटे सीढ़ीदार खेतों में सरसों, पालक, राई, मटर, गोभी आदि की सब्जियों को प्रचुर मात्रा में उगे देखा। लगा यह क्षेत्र कैश क्रॉप्स के मामले में जागरुक है। और कहीं-कहीं सेब के पेड़ भी दिखना शुरु हो चुके थे। प