यात्रा वृताँत - हरिद्वार से कुल्लू वाया देहरादून-चंडीगढ़

कुल्लू घाटी का प्रवेश द्वारा - ढालपुर मैदान (ठारा करड़ू री सोह) पहाड़ एवं घाटियों के बीच सफर का रोमाँच कई वर्षों की अचेतन में दबी इच्छा संकल्प का रुप ले चुकी थी, कुछ गहन जिज्ञासा वश तो कुछ अतीत की सुखद स्मृतियों को गहराईयों से पुनः कुरेदने की दृष्टि से। दो-तीन माह पूर्व ही इस बार की बनोगी फागली में जाने का संकल्प ले चुके थे। यह एक नितांत व्यैक्तिक जिज्ञासा से उत्तर की खोज का हिस्सा थी, लेकिन इसकी परिणति सामाजिक एवं व्यापक होगी, ऐसा सुनिश्चित था। देवभूमि की देव-परम्परा को समझने की गहन जिज्ञासा हमें अपने जन्मभूमि की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही थी। कुल्लू-मानाली घाटी, मनोरम विहंगम दृश्य सो हरिद्वार से फागली उत्सव के दो दिन पूर्व चल पड़ते हैं। गूगल गुरु में मौसम का मिजाज काफी चौंकाने वाला था। गृहक्षेत्र कुल्लू से भी उँच्चे हिलस्टेशन मानाली एवं शिमला में बारिश की भविष्यवाणी हो रही थी। लेकिन इनसे कम ऊँचाई पर स्थित कुल्लू क्षेत्र में बर्फवारी की भविष्यवाणी हो रही थी। हम इसे अपनी चिर इच्छा से जोड़कर देख रहे थे, औऱ कहावत याद आ रही थी कि नेचर नेवर डिड विट्रे द हर्ट, देट ट