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नवंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गढ़वाल हिमालय की गोद में बसा देहरादून

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  हिमालय के आँचल में बसा देहरादून Dehradun Valley from Landour, By Paul Hamilton, Wiki उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून गढ़वाल हिमालय की तराई में बसा एक महत्वपूर्ण शहर है, जो राष्ट्रीय महत्व के कई शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थानों के लिए जाना जाता है। शहर बहुत पुरातन है। द्रोण नगरी के नाम से माना जाने वाला देहरादून अपना पौराणिक इतिहास लिए हुए है। सहस्रधारा की गुफा में स्थित द्रोणाचार्य की गुफा व उनका विग्रह आज भी इसकी गवाही देते हैं। द्रोणाचार्य गुफा मंदिर, सहस्रधारा टपकेश्वर में स्थित गुफा में माना जाता है कि द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा का जन्म हुआ था। आज भी यहाँ की गुफा से गिरता जल शिवलिंग का अभिषेक करता है। इसी परम्परा में भारतीय सैन्य संस्थान (IMA - इंडियन मिलिट्री एकादमी) की स्थापना देहरादून में की गई, जहाँ से भारतीय सेना के लिए कमिशन्ड अफसर तैयार किए जाते हैं। इसके साथ यहाँ कई मिलिट्री स्कूल और कालेज भी हैं। गढ़ी कैंट में पूरी आर्मी की छावनी यहाँ स्थित है। देहरादून का नाम सिखों के गुरु राम राय से भी जुडा हुआ है। जब वे पंजाब से आकर इस क्षेत्र में बसे तो उनके डेरों के नाम

कुम्भनगरी हरिद्वार - कुछ दर्शनीय स्थल

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हिमालय के द्वार पर बसी धर्मनगरी - हरिद्वार  धर्मनगरी के नाम से प्रख्यात हरिद्वार में शायद ही किसी व्यक्ति का वास्ता न पड़ता हो। 6 और 12 साल के अंतराल में महाकुंभ का आयोजन इसकी एक विशेषता है। फिर जीवन के अंतिम पड़ाव के बाद शरीर के अवसान की पूर्णाहुति अस्थि विसर्जन और श्राद्ध-तर्पण आदि के रुप में प्रायः हरिद्वार तीर्थ में ही सम्पन्न होती है। हिमालय में स्थित चारों धामों की यात्रा यहीं से आगे बढ़ती है, जिस कारण इसे हरद्वार या हरिद्वार के नाम से जाना जाता है। निसंदेह रुप में भारतीय संस्कृति व इसके इतिहास की चिरन्तन धारा को समेटे यहाँ के तीर्थ स्थल स्वयं में अनुपम हैं, जिनकी विहंगम यात्रा यहाँ की जा रही है। इनमें निसंदेह रुप में कनखल सबसे प्राचीन और पौराणिक स्थल है, जहाँ माता सती ने अपने पिता दक्षप्रजापति द्वारा अपने पति शिव के अपमान होने पर हवन कुण्ड में स्वयं को आहुत किया था और फिर शिव के गणों एवं वीरभद्र ने यज्ञ को ध्वंस कर दक्ष प्रजापति का सर कलम कर दिया था और फिर भगवान शिव ने इनके धड़ पर बकरे का सर लगा दिया था। सती माता के जले शरीर को कंधे पर लिए

ब्लॉगिंग की प्रारम्भिक चुनौतियाँ

  कुछ इस तरह करें इनको पार यदि आपका ब्लॉग शुरु हो चुका है , तो इसके लिए आपको बधाई। अब अगले कुछ माह आप इसके सबसे महत्वपूर्ण एवं कठिन चरण से होकर गुजरने वाले हैं , जो यह तय करेगा कि आपका ब्लॉग अंजाम की ओर बढ़ेगा या फिर रास्ते में ही कहीं खो जाएगा। क्योंकि ब्लॉगिंग में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों में 10 फीसदी व्यक्ति ही अपने ब्लॉग को आगे जारी रख पाते हैं। बाकि 90 प्रतिशत ब्लॉगिंग को रास्ते में ही छोड़ देते हैं। आप भी यदि अपने ब्लॉग को अंजाम तक पहुँचाना चाहते हैं , एक सफल ब्लॉगर के रुप में उभरना चाहते हैं , तो यहाँ शेयर किए जा रहे अनुभूत नुस्खे आपके काम आएंगे, ऐसा हमारा विश्वास है। 1.       नियमितता बनाएं रखें , नागा न करें – जीवन के हर क्षेत्र की तरह ब्लॉगिंग भी नियमितता की माँग करती है। एक नियमित अन्तराल में अपना ब्लॉग लिखें व पोस्ट करते रहें। माह में 2-3 पोस्ट का औसत कोई कठिन टार्गेट नहीं है। लेकिन कोई भी माह नागा न हो , आपातकाल में भी न्यूनतम 1 पोस्ट तो किसी तरह से डालें ही। यह न्यूनतम है। यह हमारी तरह स्वान्तः सुखाय ब्लॉगर का औसत है, यदि आप प्रोफेशनल ब्लॉगर के रुप में आगे व