यात्रा वृतांत, मेरी पौलेंड यात्रा, भाग-3

बिडगोश शहर के ह्दयक्षेत्र में पहली शाम संयोग से आज शनिवार था, बुद्धपूर्णिमा का पावन दिन था। अगले दिनों प्रस्तुत होने वाली पीपीटी की तैयारियाँ लगभग पूरी हो चुकी थीं। फिनिशिंग टच व अभ्यास शेष था। पहली शाम विश्राम के बाद आज दूसरी शाम बिडगोस्ट शहर के भ्रमण के नाम थी। विश्वविद्यालय की ओर से नामित मनोविज्ञान की छात्रा डोमिनिका के साथ यह सम्पन्न होता है। विवि परिसर के साथ सटे प्रकृति की गोद में बसे पार्क से गुजरना एक भव्य अनुभव रहा। क्रिसमस ट्री पार्क की शोभा में चार चाँद लगा रहे थे। पता चला कि यहाँ इसकी कई तरह की किस्में पायी जाती हैं। यहाँ रास्ते भर सड़क के दोनों ओर तथा पार्क में झाड़ियां एवं वृक्ष फूलों से लदी हुईं थी। हमें जानकर अचरज हुआ कि यहाँ इस समय बसन्त का सीजन चल रहा है और गर्मी यहाँ जुलाई में शुरु होती है, जिसमें तापमान मुश्किल से 30 डिग्री पार होता है। (हालाँकि इस बार यूरोप में तापमान के पिछले रिकॉर्ड टूटने की खबरें पढ़ने को मिली हैं) यहाँ शहर के भवन, गलियाँ व सड़कें पूर्वचर्चित अंदाज में साफ, सुव्यवस्थित एवं भव्य उपस्थिति दर्ज करा रही थी। शनिवार यहाँ, विकें