यात्रा वृतांत-सुरकुंडा देवी का वह यादगार सफर, भाग3
गढ़वाल हिमालय के सबसे ऊँचे शक्तिपीठ के दिव्य प्राँगण में कद्दुखाल से सुरकुंडा देवी तक 3 किमी का ट्रेकिंग मार्ग है, जहाँ हमें 8000 फीट से लगभग 10000 फीट ऊँचाई तक का आरोहण करना था। पूरा रास्ता पक्का , पर्याप्त चौड़ा और सीढ़ीदार है , प्रायः हल्की चढ़ाई लिए समतल , लेकिन बीच-बीच में खड़ी चढ़ाई भी है। जो चल नहीं सकते , उनके लिए घोड़े-खच्चरों की भी व्यवस्था है , लेकिन हमारे दल में कोई ऐसा नहीं था जिसे इनकी जरुरत पड़ती। पहाड़ को चढ़ने का सबका उत्साह और जोश देखते ही बन रहा था। अगले ही कुछ मिनटों में दल का बड़ा हिस्सा दृष्टि से औझल हो चुका था , कुछ ही पथिक साथ में बचे थे। लगभग आधा पौन घंटे की चढ़ाई के बाद दम फूल रहा था , सो यहाँ एक बड़े से बुराँश पेड़ की छाया तले रेलिंग के सहारे खड़े हो गए , कुछ दम लिए , जल के दो घूंट से सूखे गले को तर किए और फिर आगे चल दिए। इन विशिष्ट पलों को यादगार के रुप में कैमरे में केप्चर किए। इस रास्ते की खासियत ये बुराँश के पेड़ भी हैं, जो पर्याप्त मात्रा में लगे हैं। गुच्छों में लगी लम्बी हरि पत्तियाँ इनकी पहचान है। अप्रैल-मई माह