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जीवन प्रबन्धन (Life management) – क्यों व कैसे, कुछ आधारभूत बातें

  Life management की क्या आवश्यकता है , जो चल रहा क्या वही पर्याप्त नहीं है ? जब हम सुख चैन की खा पी रहेक, मौज मस्ती की जिंदगी जी रहे हैं व सबकुछ ठीक चल रहा है, तो फिर जीवन प्रबन्धन की क्या आवश्यकता ? लेकिन जो चल रहा है, क्या वह सब ठीक चल रहा है, शायद नहीं। क्योंकि अधिकाँशतः हमें पता ही नहीं कि   - हम जा किधर रहे हैं ? - जो कर रहे हैं, वो क्यों कर रहे हैं ? - आज से 10-20 वर्ष बाद इसके क्या परिणाम होने वाले हैं ? इस पर तब विचार और भी गंभीरता से करने की जरुरत हो जाती है, जब जीवन में धन, शौहरत, रौब-दौव व बहुत कुछ अचीव करने के बाद भी जीवन में संतुष्टि नहीं, शांति नहीं, सेटिस्फेक्शन   नहीं। अन्दर एक शून्यता, खालीपन का भाव। - जीवन में कुछ मजा नहीं आ रहा, इसमें सार्थकता के बोध का अभाव। जीवन गहरे   तनाव, अवसाद, खालीपन, शून्यता, असुरक्षा व भय से आक्रान्त हो रहा है। फिर यदि हम बहुत प्रतिभाशाली हैं, बहुत कुछ कर सकते हैं, तो इससे परेशान कि इग्जेक्टली हमें करना क्या है , जिससे हमारा जीवन डिफाइन हो, जीवन की पहेली का समाधान हो, जीवन का स्वधर्म समझ आ जाए तथा इसी जीवन में चिरस