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शिमला के आसपास के दर्शनीय स्थल

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                                          शिमला से कुफरी, चैयल, नारकण्डा, मशोवरा और सराहन शिमला के बाहर आस-पास घूमने के कुछ बेहतरीन स्थल हैं, जहाँ हिमालय की वादियों में भ्रमण का आनन्द लिया जा सकता है। एडवांस्ड स्टडी में रहते हुए प्रायः एक माह का स्पैल पूरा होने पर हम अपने साथियों के साथ एक टैक्सी हायर कर इनका अवलोकन करते रहे। इसमें कुफरी, चैयल, मशोबरा, नारकण्डा, हाटू पीक, सराहन भीमाकाली मंदिर आदि उल्लेखनीय हैं, जो एक-दो दिन में आसानी से कवर हो जाते हैं। यहाँ शिमला के ग्रामीण आँचल में हो रहे खेती एवं बागवानी के प्रयोगों की एक झलक उठा सकते हैं। प्रकृति के वैभव को समेटे यहाँ की हिमालयन वादियों के बीच यात्रा सदैव रोमाँचक अनुभव रहता है और ज्ञानबर्धक भी। ग्रामीण शिमला की ओर शिमला शहर से बाहर निकलने के दो रास्ते हैं। एक लक्कड़ बाजार से होकर। विक्टरी टन्नल को पार करते ही थोड़ी देर में लक्कड़ बाजार बस स्टैंड आता है, इसके आगे कुछ ही समय में सफर एक पुल के नीचे से होकर गुजरता है। आगे आता है शिमला का इंदिरा गाँधी मेडिकल कालेज एवं हॉस्पिटल। यहाँ तक व इसके थोड़ा आगे संजोली तक राजधानी की बढ़ती आ

कुल्लु से मानाली वाया राइट बैंक

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ब्यास नदी के किनारे सफर का रोमाँच  ब्यास नदी एवं कुल्लु-मानाली घाटी कुल्लू-मानाली का नाम प्रायः एक साथ लिया जाता है। यहाँ के लिए नए आगंतुकों के लिए स्पष्ट कर दें कि कुल्लू हिमाचल प्रदेश का एक जिला है और कुल्लु इसके एक शहर के रुप में इसका मुख्यालय भी। तथा मानाली कुल्लु शहर से उत्तर की ओर स्थित 45 किमी दूरी पर बसा दूसरा शहर है, जो अधिक ऊँचाई के कारण हिल स्टेशन का दर्जा प्राप्त है। कुल्लु की औसतन ऊँचाई 4000 फीट के आसपास है, जबकि मानाली की ऊँचाई 6730 फीट के लगभग है। बर्फ से ढकी धौलाधार पहाड़ियाँ तथा पीर-पंजाल रेंज पास होने के कारण यहाँ हाईट के हिसाब से ठण्ड अधिक रहती है। शिमला की औसतन ऊँचाई (7238 फीट) मानाली से अधिक है, लेकिन बर्फ की पहाड़ियों से दूरी के कारण वहाँ ठण्ड मानाली से थोड़ा कम रहती है। मानाली शहर का प्रवेश द्वार      कुल्लू से मानाली का 45 किमी का सफर दोनों और पहाड़ियों के बीच 2 से 4 किमी चौड़ी घाटी से होकर गुजरता है, जिसके केंद्र में रहती है कलकल बहती हुई ब्यास नदी की निर्मल धार। जब कोई हवाई मार्ग से आता है तो वह भुन्तर हवाई अड्डे पर उतरता है और उसका सफर कुल्लू से 10 किमी पहल

यात्रा वृताँत - हरिद्वार से कुल्लू वाया देहरादून-चंडीगढ़

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कुल्लू घाटी का प्रवेश द्वारा - ढालपुर मैदान (ठारा करड़ू री सोह) पहाड़ एवं घाटियों के बीच सफर का रोमाँच कई वर्षों की अचेतन में दबी इच्छा संकल्प का रुप ले चुकी थी, कुछ गहन जिज्ञासा वश तो कुछ अतीत की सुखद स्मृतियों को गहराईयों से पुनः कुरेदने की दृष्टि से। दो-तीन माह पूर्व ही इस बार की बनोगी फागली में जाने का संकल्प ले चुके थे। यह एक नितांत व्यैक्तिक जिज्ञासा से उत्तर की खोज का हिस्सा थी, लेकिन इसकी परिणति सामाजिक एवं व्यापक होगी, ऐसा सुनिश्चित था। देवभूमि की देव-परम्परा को समझने की गहन जिज्ञासा हमें अपने जन्मभूमि की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही थी। कुल्लू-मानाली घाटी, मनोरम विहंगम दृश्य सो हरिद्वार से फागली उत्सव के दो दिन पूर्व चल पड़ते हैं। गूगल गुरु में मौसम का मिजाज काफी चौंकाने वाला था। गृहक्षेत्र कुल्लू से भी उँच्चे हिलस्टेशन मानाली एवं शिमला में बारिश की भविष्यवाणी हो रही थी। लेकिन इनसे कम ऊँचाई पर स्थित कुल्लू क्षेत्र में बर्फवारी की भविष्यवाणी हो रही थी। हम इसे अपनी चिर इच्छा से जोड़कर देख रहे थे, औऱ कहावत याद आ रही थी कि नेचर नेवर डिड विट्रे द हर्ट, देट ट