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रविवार, 31 अगस्त 2025

मत भूलना समय की गति, काल की चाल...

 

रख धैर्य अनन्त, आशा अपार...

मत भूलना, याद रखना,

समय की गति, काल की चाल,

सब महाकाल की इच्छा, नहीं कोई इसका अपवाद ।1।


जब समय ठहरा सा लगे, काल पक्ष में न दिखे,

बिरोधियों की दुरभिसंधियाँ सफल होती दिखे,

और मंजिल दृष्टि से ओझल दूर होती दिखे ।2।


सही समय यह अपने गहनतम मूल्याँकन का,

अपनी दुर्बलता को सशक्त करने का,

उड़ान भरने के लिए इंधन एकत्र करने का ।3।


बाकि इतराने दो अपने दर्प-दंभ अहंकार में इनको,

औचित्य को हाशिए में ले जाकर, चैन के गीत गाने दो,

नहीं अधिक लम्बा खेल माया का, बस कर लें थोड़ा इंतजार ।4।


यहाँ कुछ भी नहीं रहता हरदम,

हर चीज के उतार-चढ़ाव का समय तय यहाँ,

और हर घटना, जीत-हार सब सामयिक यहाँ ।5।


कितने तीस मार खान आए यहाँ, कितने गए,

अर्श से फर्श पर गिरकर, शिखरों से भूलुंठित होकर,

काल के गर्त में हर हमेशा के लिए समा गए ।6।


यहाँ भी कुछ ऐसा हो जाए, तो कोई बड़ी बात नहीं,

रख धैर्य अनन्त, आशा अपार,

अपने स्वधर्म पर अढिग, कर सही समय का इंतजार ।7।


प्रकृति को अपना खेल खेलने दो, कर्मों को अपना चक्रव्यूह रचने दो,

संचित कर्म, प्रारब्ध के विस्फोट से नहीं बच सकता कोई,

बाकि इच्छा महाकाल की, तुम तो औचित्य का दाम थामे रहो ।8



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