कीमत चुकाने के लिए कितने हैं तैयार
आगे तो सब बढ़ना चाहते हैं मंजिल तक,
लेकिन पिछली खाई पाटने को कितने हैं
तैयार।1
सफलता का सेहरा पहन सब चाहते हैं सजना संवरना,
अनवरत असफलता का दंश झेलने को कितने हैं
तैयार।2
कंगूरे का क्लश तो हर कोई चाहता है
बनना,
लेकिन गुमनामी में गलने को कितने हैं तैयार।3
श्रेय का तो हर कोई चाहता है अधिकारी
बनना,
लेकिन पूरी कीमत चुकाने को कौन है
तैयार।4
सिंहासन की चाहत भी रखता है हर कोई,
काँटे का ताज पहनने को कौन है तैयार।5
प्रकाश की चाहत भी है सभी के उर में,
लेकिन अंधकार से भिड़ने को कौन है तैयार।6
गुरुत्ता का श्रेय भी सभी चाहते हैं
सहजता से,
शिष्यत्व की तपन में गलने को कितने
तैयार।7
अमृत की चाह भी सब रखते हैं एक डुबकी
में,
लेकिन विषपान के लिए कितने हैं तैयार।8
शिखर की चाहत तो हर कोई रखता है दिल
में,
लेकिन पर्वत के आरोहण के लिए कितने हैं तैयार।9
मन का सुकून भी हर कोई चाहता है जीवन में,
लेकिन शांति के पथ पर चलने को कितने
हैं तैयार।10
धर्म-अध्यात्म की अनुभूति भी हर इंसान
चाहता है जेहन में,
लेकिन इँसानियत की नेक राह पर चलने को कितने सचेष्ट-तैयार।11
संत सुधारक नायक का श्रेय भी सभी चाहते हैं सपने
में,
आदर्श की खातिर शहीद होने के लिए कितने हैं तैयार।।12